धर्म संवाद / डेस्क : योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के बारे में जितनी बात की जाए कम ही लगती हैं। सिर्फ बाल्यकाल में ही नहीं अपनी युवावस्था में भी उन्होंने अनेक लीलाएं की थी। बचपन में वे माखन चुराया करते थे इस वजह से उनका नाम माखन चोर पड़ा। ठीक उसी तरह से उनका एक नाम रणछोड़ भी है। यह नाम उन्हें तब मिला था जब वे युद्धभूमि छोड़ कर भाग गए थे।चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्या हुआ था कि स्वयं भगवान कृष्ण को रणभूमि छोड़कर भागना पड़ा था।
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कहते हैं कि एक बार मगधराज जरासंध ने भगवान श्रीकृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा था, और साथ में यवन देश के राजा कालयवन को भी मिला लिया। दरअसल, कालयवन को भगवान शंकर से ये वरदान मिला था कि न तो कोई चंद्रवंशी और न ही कोई सूर्यवंशी उसको युद्ध में हरा सकता है। उसे न तो कोई हथियार मार सकता है और न ही कोई अपने बल से हरा सकता है। कई दिनों तक भीषण युद्ध चलता रहा लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसे नहीं हरा पाए और कालयवन राक्षस भगवान श्रीकृष्ण और उनक सेना पर भारी पड़ने लगा। अपने साथियों के प्राण बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने मैदान छोड़ दिया और युद्धभूमि(रण)छोड़कर भाग गए।तब से ही उनका नाम रणछोड़ पड़ा।
रणभूमि से भागकर श्रीकृष्ण एक गुफा में पहुंच गए। यह वही गुफा थी जहां राक्षसों से युद्ध करके राजा मुचकुंद त्रेतायुग से सोए हुए थे।राजा मुचकुंद दानवों को हराने के बाद बहुत थक गए थे।जिसके बदले इंद्र ने उन्हें विश्राम का आग्रह कर एक वरदान भी दिया। इंद्र ने कहा कि जो भी इंसान तुम्हें नींद से जगाएगा वो जलकर खाक हो जाएगा। श्री कृष्ण यह बात भली भांति जानते थे।गुफा में भगवान कृष्ण ने राजा मुचकुंद के ऊपर अपना पीतांबर डाल दिया। कालयवन को लगा श्री कृष्ण उससे डरकर अंधेरी गुफा में सो गए हैं। कालयवन ने त्रेता युग से सोए हुए राजा मुचकुंद को लात मारकर उठाया। राजा मुचकुंद की नींद टूटते ही कालयवन जलकर खाक हो गया।