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देश की आजादी के पहले हुआ था इस मंदिर का निर्माण, कांचीपीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने किया था कुंभाभिषेक

By Tami

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कांचीपीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने किया था कुंभाभिषेक

धर्म संवाद/ डेस्क: धर्मसास्था  मंदिर जमशेदपुर शहर के बिष्टुपुर-खरकई लिंक रोड के किनारे स्थित है। जिसका निर्माण 1877 में हुआ था। यहां मुख्य रूप से हरिहर के पुत्र रूप में भगवान अयप्पा की मूर्ति स्थापित है। भगवान अय्यप्पा एक बहुत लोकप्रिय हिंदू देवता हैं, जिन्हें मुख्य रूप से दक्षिण भारत में पूजा जाता है। उन्हें धर्म, सच्चाई और धार्मिकता का प्रतीक माना जाता है और अक्सर उन्हें बुराई को मिटाने के लिए कहा जाता है। इसके अलावा यहां कई देवी-देवता भी विराजमान हैं।

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आजादी से पहले बिष्टुपुर स्थित मद्रासी सम्मेलन परिसर में भगवान अयप्पा के चित्र के सामने पूजा होती थी। बाद में मंदिर की स्थापना बिष्टुपुर के खरकई लिंक रोड में हुई। मंदिर में रुद्राभिषेक, अर्चना, नवग्रह, मंजे माता, नाग देवता की पूजा की जाती है। सुबह 6 बजे से 11 बजे तक और शाम 5 बजे से 8:30 बजे तक नियमित पूजा होती है।

इस मंदिर का कुंभाभिषेक 1977 में कांचीपीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने किया था। 42 फीट ऊंचे राजगोपुरम के साथ धर्मसास्था मंदिर जमशेदपुर के पूरे समुदाय की समृद्धि और भलाई के लिए कल्याणकारी गतिविधियों के लिए समर्पित एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। इसका प्रबंधन धर्म संस्था समूह ट्रस्ट द्वारा किया जाता है, जो मानवता, कल्याण और समाज की भलाई के लिए समर्पित एक गैर-लाभकारी संस्था है। यह नियमित रूप से गरीब भोजन, पुस्तक अनुदान, मुफ्त क्लिनिक आदि जैसी धर्मार्थ पहल करता है। भक्त यहां भगवान का आशीर्वाद लेने आते हैं और अपनी इच्छा के अनुसार पूजा करते हैं।

दक्षिण भारतीय शैली से बना है मंदिर

यह मंदिर पूरी दक्षिण भारतीय शैली में बना हुआ है। यहां हर साल मार्च में प्रीति महोत्सव के आयोजन किया जाता है। यह महोत्सव पूरे 7 दिन तक चलती है यहां भक्तों को बिठाकर भरपेट भोजन कराया जाता है कोई भूखा ना रहे इस उद्देश्य से इसका आयोजन हर साल 14 मार्च से लेकर 20 मार्च तक किया जाता है। इस महोत्सव के दौरान भक्तों एवं लोगों को प्रसाद बैठाकर खिलाया जाता है। शहर के सैकड़ों लोग इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं। स्थानीय मंडली व बाहर से आए मंडली द्वारा भजन कीर्तन का भी आयोजन होता है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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