धर्म संवाद / डेस्क : झारखंड के सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में शामिल परसूडीह का गोलपहाड़ी मंदिर का अस्तित्व 1900 से है। यहां दक्षिण भारतीय रीति रिवाज से होती है। यहां अपनी फ़रियाद लेकर आने वाले हर भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। मन्नत के लिए यहां पेड़ों पर मन्नत के पत्थर बांधे जाते है और मन्नत पूरी होने के बाद इसे यहाँ आकर उसी पत्थर को खोल दिया जाता है। यहां पत्थर बांधने के लिए शहर सहित उड़ीसा, बंगाल, बिहार के अलावा अन्य राज्यों से भी भक्त आते है।
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पूजा के लिए विशेष रूप से स्थानीय निवासियों के लिए सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है। माता गोलपहाड़ी मंदिर के प्रति भक्तों की अपार आस्था है। ऐसा माना जाता है कि देवी भक्तों की हर मन्नत पूरी करती हैं। यह झारखंड के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। मंदिर में नवरात्रि के दौरान भक्तों कि भीड़ लगी रहती हैं। यहां रविवार और मंगलवार को विशेष तौर पर भीड़ रहती है। पहाड़ी पर गोलपहाड़ी माता मंदिर के अलावा भगवान शिवजी का मंदिर, शीतला माता मंदिर, काली माता मंदिर, भगवान जगन्नाथ मंदिर, देवी दुर्गा मंदिर, भगवान गणेश मंदिर और भगवान हनुमान मंदिर भी स्थित हैं। मंदिर पहुंचने के रास्ते में आप 5 मुख वाले हनुमान और जगन्नाथ देव के दर्शन कर सकते हैं।
मंदिर तक पहुचने के लिए चढ़नी पड़ता है 200 से अधिक है सीढ़ियां
माता के दर्शन के लिए भक्तों को 600 फीट की ऊंचाई चढ़नी पड़ती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 200 से अधिक सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। माता का मंदिर पहाड़ी की चोटी पर होने के कारण यहां से शहर का नजारा अद्भुत होता है। हर साल मई के महीने में माता पहाड़ी की विशेष पूजा होती है। जिसे पहाड़ी पूजा कहा जाता है पांच दिन तक चलने वाली इस पूजा के दौरान माता नगर भ्रमण के लिए निकलती हैं। अलग-अलग क्षेत्र के लोग माता को अपने क्षेत्र में ले जाते हैं और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। माता के साथ हर दिन हजारों लोग भ्रमण करते हैं। माता अलग-अलग क्षेत्रों का भ्रमण करने के बाद पुन: मंदिर में स्थापित हो जाती हैं। लोको कालोनी के लोक 1954 से माता को अपने यहां प्रतिष्ठापित करके हर साल विशेष पूजा करते हैं।