Do you want to subscribe our notifications ?

युगल किशोर की आरती

By Tami

Published on:

युगल किशोर की आरती

धर्म संवाद / डेस्क : युगलकिशोर भगवान कृष्ण का ही एक रूप हैं। वृंदावन के किशोरवन से हरिराम व्यास को भगवान युगलकिशोर की मूर्ति मिली। व्यास जी ने प्रतिमा को उसी स्थान पर प्रतिष्ठित किया। बाद मे ओरछा के राजा मधुकर शाह ने किशोरवन के पास मंदिर बनवाया। यह है युगल किशोर जी की आरती ।

आरती युगल किशोर की कीजै,

तन-मन-धन, न्योछावर कीजै। टेक।

गौर श्याम सुख निरखत रीझै,

हरि को स्वरूप नयन भरी पीजै।

रवि शशि कोटि बदन की शोभा।

ताहि निरिख मेरो मन लोभा।

ओढ़े नील पीत पट सारी,

कुंज बिहारी गिरवर धारी।

यह भी पढ़े : श्री साई बाबा की आरती – आरती श्री साई गुरुवर की

फूलन की सेज फूलन की माला,

रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला।

मोर-मुकुट मुरली कर सोहे,

नटवर कला देखि मन मोहे।

कंचन थार कपूर की बाती,

हरि आए निर्मल भई छाती।

श्री पुरुषोत्तम गिरवरधारी,

आरती करें सकल ब्रजनारी।

नंदनंदन ब्रजभान किशोरी,

परमानंद स्वामी अविचल जोरी।

आरती युगल किशोर की कीजै |

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

Exit mobile version