धर्म संवाद / डेस्क : सनातन धर्म से जुड़े मंदिरों कि खासियत यह है कि ज्यादातर मंदिरों कि कोई न कोई पौराणिक कथा होती ही है. इसके अलावा कुछ मंदिर ऐसे होते हैं जिनमे कुछ विशिष्ट चमत्कार होते हैं. वैसा ही एक मंदिर है महाकाल कि नगरी उज्जैन में. यहाँ अगर आपकी कुंडली में मांगलिक दोष है तो उसका निवारण होता है. इस मंदिर का नाम है मंगलनाथ मंदिर.
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मत्स्य पुराण के अनुसार, मंगलनाथ में ही मंगल ग्रह का जन्म हुआ था. कथा के अनुसार, अंधकासुर नामक दैत्य को भगवान शिव का वरदान प्राप्त था कि उसके रक्त की बूंदों से सैकड़ों दैत्य जन्म लेंगे. इसी वरदान के चलते अंधकासुर पृथ्वी पर उत्पात मचाने लगा। उससे तंग आकर सभी ने भगवान शिव से उससे निजात दिलाने कि प्रार्थना की .
उसके बाद महादेव और अंधकासुर के बीच भीषण युद्ध हुआ. इस युद्ध में भगवान शिव का पसीना बहने लगा जिसकी गर्मी से धरती फट गई और उससे मंगल का जन्म हुआ. उत्पन्न होते ही मंगल ग्रह ने दैत्य के शरीर से निकली रक्त की बूंदों को अपने अंदर सोख लिया. कहां जाता है कि यही वजह से मंगल का रंग लाल माना गया है.
इस मंदिर में भगवान शिव ही मंगलनाथ के रूप में विराजमान हैं. मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव,एक शिवलिंग के रूप में स्थापित हैं. मंगल देव को परान्न करने के लिए यह सबसे उत्तम स्थान है. मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में किसी भी तरह के अमंगल को मंगल में बदलने की सामर्थ्य है. यहां देश-विदेश से लोग अपनी कुंडली के मंगल दोष मुक्ति पाने के लिए आते हैं. यहां मंगल की शांति और दोषों से मुक्ति पाने के लिए पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है.
मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां होने वाली भात पूजा इस विशेष पूजा के दौरान मंदिर में स्थापित भगवान शिव का भात श्रृंगार किया जाता है. कुंडली में मंगल दोष के निवारण के लिए भक्तों के द्वारा मंदिर में भात पूजा कराई जाती है. अत्यंत पवित्र क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित होने के कारण इस मंदिर का और यह होने वाली पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है. इसके अलावा इस मंदिर में नवग्रह पूजा भी संपन्न होती है.
शिप्रा तट स्थित विश्व प्रसिद्ध भगवान श्री मंगलनाथ मंदिर पर देश-विदेश से श्रद्धालुगुणों के साथ ही साथ भात पूजन एवं अन्य पूजनों यथा- कालसर्प, अंगारक दोष, श्रापित दोष, अर्क विवाह, कुंभ विवाह आदि की पूजन हेतु श्रद्धालुओं का निरंतर रूप से आगमन होता है.