धर्म संवाद / डेस्क : देशभर में पवनपुत्र हनुमान जी के कई मंदिर है. उसी तरह हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बना भगवान हनुमान का मंदिर बेहद ऐतिहासिक होने के साथ भक्तों की आस्था का प्रतीक है. यहाँ देश-विदेश से लोग दर्शन करने आते हैं. यह मंदिर शिमला शहर से लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर, जाखू पहाड़ी के शिखर पर स्थित है. यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्व रखता है.
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जाखू हनुमान मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यह वह स्थान है जहाँ भगवान हनुमान ने राम-रावण युद्ध के बाद अपनी यात्रा के दौरान विश्राम किया था. भगवान हनुमान के पदचिन्ह भी इस मंदिर के समीप पाए जाते हैं, जिन्हें श्रद्धालु बेहद पवित्र मानते हैं. यहां स्थित विशाल हनुमान प्रतिमा को देखकर भक्तों की श्रद्धा और आस्था और भी प्रगाढ़ होती है.
कहा यह भी जाता है कि जब हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने रहे थे तब हिमालय की ओर जाते हुए भगवान हनुमान की नजर राम नाम जपते हुए एक ऋषि यक्ष पर पड़ी. इस पर हनुमान यहां रुककर ऋषि यक्ष के साथ भेंट की और आराम किया. भगवान हनुमान ने वापस लौटते हुए ऋषि यक्ष से भेंट करने का वादा किया, लेकिन वापस लौटते समय भगवान हनुमान को देरी हो गई. समय के अभाव में भगवान हनुमान छोटे मार्ग से चले गए. ऋषि यक्ष भगवान हनुमान के न आने से व्याकुल हो उठे. ऋषि यक्ष के व्याकुल होने से भगवान हनुमान इस स्थान पर स्वयंभू मूर्ति के रूप में प्रकट हुए. इस मंदिर में आज भी भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति और उनकी चरण पादुका मौजूद हैं. माना जाता है कि भगवान हनुमान की स्वयंभू मूर्ति प्रकट होने के बाद यक्ष ऋषि ने यहां मंदिर का निर्माण करवाया. मंदिर का नाम ऋषि यक्ष से याकू और याकू से नाम जाखू पड़ा.
साल 2010 ने इस मंदिर में भगवान हनुमान की 108 फीट ऊंची मूर्ति भी स्थापित की गई, जो शिमला में प्रवेश करने पर दूर से ही नजर आ जाती है. 108 फीट ऊंचाई इस हनुमान जी की मूर्ति का निर्माण बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता नन्दा और दामाद निखिल नन्दा ने करवाया है. साल 2010 में पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने इस उद्घाटन किया था. इस दौरान मौके पर अभिनेता और श्वेता के भाई अभिषेक बच्चन मौजूद रहे थे.
जाखू हनुमान मंदिर तक पहुँचने के लिए पर्यटक एक खूबसूरत और चुनौतीपूर्ण ट्रैकिंग मार्ग का अनुसरण करते हैं. यह मार्ग हरे-भरे जंगलों और पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरता है, जो यात्रा को और भी रोमांचक और सुंदर बनाता है. यदि आप ट्रैकिंग नहीं करना चाहते, तो मंदिर तक पहुँचने के लिए वाहन भी उपलब्ध हैं.