धर्म संवाद / डेस्क : भारत देश के कई मंदिर अपने आप मे अनूठे हैं। धर्म नगरी काशी मे भी कई चमत्कारी मंदिर है । इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है। कहते हैं काशी के कण-कण में महादेव बसते हैं। यहाँ महादेव का विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भी विराजमान है। इसी तरह का एक मंदिर ऐसा है जहां रामचरितमानस की चौपाइयाँ लिखी हुई हैं। इसे तुलसी मानस मंदिर के नाम से जाना जाता है।
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तुलसी मानस मंदिर वाराणसी शहर के दुर्गा मंदिर के करीब दुर्गाकुंड में स्थित है। यह एक बहुत ही मनोरम स्थल है। कहा जाता है कि इसी स्थान पर तुलसीदास जी ने रामचरितमानस लिखा था। सफेद संगमरमर से बना ये मंदिर सुंदर बागीचे के साथ बहुत आकर्षक लगता है। यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है। मंदिर बनारस के परिवार द्वारा बनाया गया है जिसमें राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की सुंदर मूर्तियां हैं। पहले यहां छोटा सा मंदिर हुआ करता था। सन 1964 में कलकत्ता के एक व्यापारी सेठ रतनलाल सुरेका ने वर्तमान मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था। यहां मधुर स्वर में संगीतमय रामचरितमानस संकीर्तन गूँजता रहता है।
इस मंदिर की दीवारों पर तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस की चौपाइयाँ उकेरी हुई हैं। मंदिर के दूसरी मंजिल में तुलसीदास जी की मूर्ति भी है। मंदिर के केंद्र में भगवान शिव और माता पार्वती के साथ राम दरबार है। हिंदू महाकाव्य में वर्णित सभी देवी देवताओं की मूर्ति मंदिर में मौजूद है।