इस गणेश मंदिर को एक हलवाई ने बनवाया था,जाने रोचक इतिहास

By Tami

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बताया जाता है कि दगड़ू सेठ हलवाई कोलकाता से पुणे पहुंचे थे, तब उस समय प्लेग महामारी फैली हुई थी। इस महामारी के चलते उनके बेटे की मौत हो गई। इस हादसे के बाद से दगड़ू सेठ परेशान होने लगे और चाहते थे कि किसी भी तरह बेटे की आत्मा को शांति मिल जाए। इसके लिए उन्होंने एक पंडित को बुलाया और उपाय पूछा। पंडितजी ने भगवान गणेश का मंदिर बनवाने की सलाह दी। पंडित जी की सलाह पर वर्ष 1893 में दगड़ूसेठ हलवाई ने एक भव्‍य गणपति मंदिर का निर्माण कराया और गणपति प्रतिमा स्‍थापित कराई। आज इस मंदिर को दगड़ूसेठ हलवाई के नाम से ही जाना जाता है। 

यहाँ सुबह से ही भक्‍तों की भीड़ लगना शुरू हो जाती है और रात में मंदिर के बंद होने तक यह भीड़ कम नहीं होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में जो भी अपनी मुराद लेकर आता है वह कभी अधूरी नहीं रहती है और गणपति उसे जरूर पूरा करते हैं।  बताया जाता है कि स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने दगड़ू सेठ गणपति मंदिर से ही गणेश उत्सव की शुरुआत की थी। तब से यहां हर साल धूमधाम से गणेश उत्सव मनाया जाने लगा।

आपको बता दे मंदिर में करीब 8 किलो सोने के उपयोग से यहां पर भगवान गणेश जी की 7.5 फीट ऊंची और 4 फीट चौड़ी प्रतिमा विराजमान हैं। इस प्रतिमा में गणपति के दोनों कान सोने के हैं। वहीं प्रतिमा को 9 किलो से भी अधिक वेट का मुकुट बनाया गया है। गणपति जी को सोने की ज्वेलरी से भी सजाया गया है।

यह मंदिर मात्र पांच किमी की दूरी पर है और एयरपोर्ट से 12 किमी की दूरी पर है। आप सड़क या हवाई मार्ग से भी पहुंच सकते हैं। 

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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