धर्म संवाद / डेस्क : शनि देव को न्याय, कर्म और जीवन में फल-फूल के देवता के रूप में पूजा जाता है। वे सूर्य देव के बेटे और छाया (सूर्य की पत्नी) के पुत्र हैं। शनि देव का सबसे प्रसिद्ध प्रतीक उनके रथ के रूप में होता है, जिसे काले बग्घी द्वारा खींचा जाता है और उनका रूप काले रंग में होता है। ऐसा कहा जाता है कि शनि देव की वक्र दृष्टि जिस इंसान पर पड़ती है, उसका जीवन परेशानियों से भर जाता है। हालांकि ज्योतिषविद दावा करते हैं कि शनि देव की दया दृष्टि रहने से बड़े से बड़ा संकट नष्ट हो सकता है। शनिवार के दिन शनि की पूजा बहुत ही फलदायी मानी जाती है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए यह भजन गाए।
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हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमें,
रखना करूणा की छांव में,
काँटा भी ना चूभने देना कभी,
कष्टों का हमारे पांवों में,
हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमे,
रखना करूणा की छांव में।।
हमको ना कभी परखना तुम,
प्रभु द्रष्टि दया की रखना तुम,
जग सागर पार करा देना,
बैठा के सुखो की नावों में,
हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमे,
रखना करूणा की छांव में।।
सब आपके है कोई गैर नहीं,
तुम रखते किसी से बैर नहीं,
प्रभु आप के नाम का डंका तो,
बजता है सभी दिशाओ में,
हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमे,
रखना करूणा की छांव में।।
शुभ चरण जब आप आते हो,
मन भक्त का जित के जाते हो,
वो रुकना सके बुलाते है,
जिसे आप शिगनापुर गांव में,
हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमे,
रखना करूणा की छांव में।।
हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमें,
रखना करूणा की छाव में,
कांटा भी ना चूभने देना कभी,
कष्टों का हमारे पांवों में,
हे सूर्य पुत्र शनिदेव हमे,
रखना करूणा की छांव में।।