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किन्नर कैलाश : भारत की सबसे खतरनाक और कठिन यात्रा

By Tami

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किन्नर कैलाश

धर्म संवाद / डेस्क : हिमालय की बर्फीली चोटियों में कई स्थान छुपे हैं जिनकी धार्मिक मान्यताएं उन्हे बाकियों से अलग करती है. उनमें सबसे खतरनाक और कठिन होती है किन्नर कैलाश यात्रा. किन्नर कैलाश हिमाचल के किन्नौर जिले में स्थित है.  यहाँ एक प्राकृतिक शिवलिंग मौजूद है जो कि 79 फिट ऊंचा है. इसके आस-पास बर्फीले पहाड़ों की चोटियां हैं. यह समुद्र तल से 6050 मीटर की ऊंचाई पर है. 

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किन्नर कैलाश  यात्रा हर साल सावन में शुरू होती है और एक महीने तक चलती है. इस यात्रा को पूरा करने में करीब 2 से 3 दिन लगते हैं और यह यात्रा मानसरोवर और अमरनाथ की यात्रा से भी कठिन मानी जाती है. एक पौराणिक कथा के अनुसार, इस स्थान को भगवान शिव और माता पार्वती के पहले मिलन के तौर पर देखा जाता है. उल्लेख है कि यहीं शिवशक्ति ने पहली बार मिलन किया था और तब ब्रह्म कमल का पुष्प इस स्थान पर खिला था। वर्तमान में भी यहां यात्रा के दौरान अक्सर ब्रह्म कमल के फूल दिख जाते हैं. हालांकि यह फूल हर किसी को नजर नहीं आते. कहा जाता है कि पूर्ण मन और श्रद्धाभाव के साथ इस यात्रा को करने वालों को ही ये फूल दिखाई देते हैं.

किन्नर कैलाश के इस शिव लिंग की एक विशेषता यह कि है यह दिन में कई बार रंग बदलता है. सूर्योदय से पहले सफेद, सूर्योदय के बाद पीला, सूर्येअस्त से पहले लाल और सूर्येअस्त के बाद ये काले रंग का हो जाता है. किन्नर कैलाश शिवलिंग का आकार त्रिशूल जैसा लगता है. किन्नर कैलाश यात्रा के दौरान श्रद्धालु चिन्यालीसौर, कैलाश झील, और बरसिंग झील जैसे स्थलों पर भी जाते हैं, जो धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण हैं.

यात्रा शुरू करने के लिए भक्तों को जिला मुख्यालय से लगभग सात किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग-5 पर स्थित पोवारी से सतलुज नदी को पार कर तंगलिंग गांव से हो कर जाना पड़ता है. गणेश पार्क से लगभग पाच सौ मीटर की दूरी पर पार्वती कुंड स्थित है. माना जाता है कि वह कुंड देवी पार्वती ने खुद बनाया था.

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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