कुंडली में क्यों लगता है पितृदोष

By Tami

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पितृदोष

धर्म संवाद / डेस्क : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग बनते हैं.  शुभ योग में सभी तरह की सुख-सुविधाएँ मिलती हैं वही अशुभ योग में बहुत सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है. कभी-कभी कुछ ऐसे दोष बन जाते हैं जिसके प्रभाव से जीवन में हमेशा मुश्किलें आती रहती हैं. जैसे कि घर में हमेशा किसी का बीमार रहना, सम्मान हानि, विवाद, मेहनत बेकार जाना या फिर बने बनाए काम का बिगड़ जाना आदि. कालसर्प दोष को सबसे खतरनाक दोष माना जाता है .उसके बाद यदि किसी दोष को खतरनाक माना जाता है, तो वह है पितृ दोष. 

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वैदिक ज्योतिष के अनुसार, जब किसी जातक की कुंडली के लग्न भाव और पांचवें भाव में सूर्य, मंगल और शनि विराजमान हो तो पितृदोष बनता है. इसके अलावा अष्टम भाव में गुरु और राहु एक साथ आकर बैठ जाते हैं तो पितृ दोष का निर्माण होता है. इसके साथ ही जब कुंडली में राहु केंद्र या त्रिकोण में मौजूद हो तो पितृदोष बनता है. वहीं जब सूर्य,चंद्रमा और लग्नेश का राहु से संबंध होता है तो भी कुंडली में पितृदोष बनता है. जब कोई व्यक्ति अपने से बड़ों क अनादर करता है या फिर हत्या कर देता है तो भी उसे पितृदोष लगता है.

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पितृ असल में हमारे पूर्वजों को कहा जाता है. अगर सरल भाषा में समझे तो जब हमारे पूर्वजों की आत्माएं तृप्त नहीं होती, तो ये आत्माएं पृथ्वी में रहने वाले अपने वंश के लोगों को कष्ट देती हैं. इसी को ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष कहा गया है. हमारे पूर्वजों का अगर सही से श्राद्ध या तर्पण नहीं होता तो इससे भी पितृ दोष होता है.  इसके साथ ही जो लोग अपने पूर्वजों का अनादर करते हैं और उन्हें कष्ट देते हैं इससे दुखी दिवंगत आत्माएं उन्हें शाप देती हैं. इससे भी हमारे जीवन में समस्याएँ उत्पन्न होती है.

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अगर किसी जातक की कुंडली में पितृदोष है तो उसके जीवन में कई तरह की बाधाएं आती हैं. उनके वैवाहिक जीवन में तनाव रहता है. गर्भधारण में समस्याएं आती हैं. बच्चे की अकाल मृत्यु हो सकती है. जीवन में कर्ज और नौकरी में परेशानियां आती हैं. इसके अलावा लंबे समय से किसी बीमारी के चलते परेशान रह सकते हैं. परिवार में विकलांग या अनचाहे बच्चे का जन्म हो सकता है. ऐसे व्यक्ति को बुरी आदतों की लत भी लग सकती है.

अगर आप पितृदोष  से मुक्ति पाना चाहते हैं तो हर महीने चतुर्दशी तिथि को पीपल के पेड़ पर दूध चढ़ाएं. अमावस्या पर श्रीमद्भागवत के गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें. घर के दक्षिण दिशा के दीवार पर पितरों की फोटा लगाएं और नियमित पूजा करें. पितृदोष से संबंधितव शांति का विधिवत आयोजन करें.

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .