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घर में कहाँ बनाए टॉयलेट, ताकी वास्तु दोष से मिले छुटकारा

By Tami

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घर में कहाँ बनाए टॉयलेट

धर्म संवाद / डेस्क : वास्तु शास्त्र  घर  निर्माण करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है। वास्तु में किसी भी नए घर या भवन के निर्माण से पहले दिशाओं का पूरा ध्यान रखा जाता है। अगर कोई भी चीज गलत दिशा में रख दी जाए तो इसे वास्तु दोष उत्पन्न होता है जिससे जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि आप घर बना रहे हैं तो सबसे पहले ये बात ध्यान में रखे कि घर का टॉयलेट सही दिशा में बना हुआ हो। अगर घर का बाथरूम गलत दिशा में होता है तो घर में धन हानि और  स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो जाती हैं।

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वास्तु शास्त्र के हिसाब से घर की उत्तर दिशा या उत्तर-पश्चिम हिस्से में होना चाहिए। घर का बाथरूम दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में भी न बनवाएं, क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि इससे घर में लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही मांगलिक कार्य बाधित हो सकते हैं और धन के आगमन में भी रूकावट आ सकता है इसके अलावा, उत्तर पूर्व दिशा और घर के केंद्र में भी बाथरूम नहीं बनवाना चाहिए। इन जगहों में बाथरूम डिजाइन करना और यहां नकारात्मक जल ऊर्जा जमा होना अशुभ माना जाता है। इससे आपके परिवार के सदस्यों की भलाई तथा आपके घर की समृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।   

वास्तु शास्त्र कहता है शौचालय का मुख घर की उत्तर दिशा में होना चाहिए और इसके ठीक ऊपर खिड़की होना फायदेमंद होता है। शौचालय का निर्माण जमीनी स्तर से हमेशा एक से दो फीट ऊंचा होना चाहिए।   बाथरूम / शौचालय या वॉश बेसिन के पानी निकालने की जगह पश्चिमी दिशा की तरफ होना चाहिए।  बाथरुम का दरवाजा हमेशा या तो उत्तर की ओर या पूर्व की ओर खुलना चाहिए। पूर्व दिशा धार्मिक कार्यों के लिए शुभ होती है, इसलिए पूजा कक्ष कभी भी बाथरूम के सामने नहीं होना चाहिए।

बाथरूम में लकड़ी का दरवाजा लगवाए। इससे नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। बाथरूम के दरवाजे हमेशा बंद रखे क्योंकि इसे खुला छोड़ने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है  और आपके निजी रिशतें खराब हो सकते हैं ।बाथरूम के लिए हल्के रंग जैसे बेज या क्रीम का इस्तेमाल करें ताकि आप आसानी से गंदगी देखकर उसे साफ कर सकें। डार्क टाइल या पेंट  वास्तु के मुताबिक ठीक नहीं है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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