धर्म संवाद / डेस्क : इस बार महाकुंभ प्रयागराज में लग रहा है। हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए महाकुंभ आस्था का एक प्रमुख केंद्र है। यह मेला भारतीय संस्कृति और धर्म का अभिन्न हिस्सा है, और इसे विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक माना जाता है। महाकुंभ कुंभ मेलों का ही एक प्रकार है। महाकुंभ के अलावा कुंभ मेलों के और भी प्रकार होते हैं। जैसे कि कुंभ, अर्धकुंभ, पूर्णकुंभ और और सिंहस्थ। ये आयोजन न केवल भक्तों के लिए धार्मिक आस्था और श्रद्धा का प्रतीक होते हैं, बल्कि इनका आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है। प्रत्येक मेला एक विशेष समय, स्थान और महत्व के साथ आता है, और इन मेलों में भाग लेने से न केवल शारीरिक शुद्धता बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति की भी प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इन मेलों के अंतर और उनके महत्व के बारे में।
यह भी पढ़े : महाकुंभ में हिस्सा लेने वाले अद्वितीय बाबा , किसी के हाथ में सोने के कंगन तो किसी ने उठा रखा है अपना हाथ
1. कुंभ मेला : कुंभ मेला वह आयोजन है, जो हर 4 साल में एक बार आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन चार प्रमुख स्थानों पर होता है—प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। यह मेला विशेष रूप से हर स्थान पर 12 वर्षों के अंतराल पर एक बार आयोजित होता है, और इसमें लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए आते हैं। कुंभ मेले का आयोजन सूर्य, चंद्रमा, और बृहस्पति की स्थिति के आधार पर किया जाता है।
2. अर्धकुंभ मेला : “अर्ध” का अर्थ आधा होता है। अर्धकुंभ मेला, कुंभ मेला का छोटा रूप होता है और यह हर 6 साल में आयोजित होता है। यह आयोजन कुंभ मेला के बीच के वर्षों में होता है। अर्धकुंभ का आयोजन हरिद्वार और प्रयाग में होता है।
3. पूर्णकुंभ मेला : पूर्णकुंभ मेला, जैसा कि नाम से प्रतीत होता है, वह मेला होता है जो हर 12 साल में आयोजित होता है। इसे सबसे बड़ा और प्रमुख कुम्भ मेला माना जाता है। पूर्णकुंभ मेला को विशेष रूप से पुण्य प्राप्ति और मोक्ष के लिए आयोजित किया जाता है। ज्योतिषीय गणना के आधार पर पूर्ण कुंभ के स्थान का निर्णय किया जाता है।
4. महाकुंभ मेला: महाकुंभ मेला 144 वर्षों में एक बार आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन विशेष रूप से प्रयागराज में होता है। महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र मेला है, जिसे पूरी दुनिया में सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। महाकुंभ मेला एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक घटना होती है, जिसे केवल कुछ ही बार जीवन में देखा जा सकता है। महाकुंभ मेले में संगम पर स्नान करने को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
5. सिंहस्थ मेला: सिंहस्थ मेला का आयोजन तब होता है जब बृहस्पति सिंह राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। इसे सिंहस्थ इसलिए कहा जाता है क्योंकि बृहस्पति सिंह राशि में होता है। यह हर 12 साल में आयोजित होता है। इसे महाकुंभ मेला का एक हिस्सा माना जा सकता है, क्योंकि यह कुंभ मेला के समान होता है, लेकिन यह केवल उज्जैन में आयोजित होता है।