धर्म संवाद / डेस्क : महाकुंभ 2025 , प्रयागराज में 13 जनवरी को शुरू होने वाला है। इसके लिए साधु संतों का डेरा प्रयागाराज पहुंचना शुरू हो गया है। कुंभ मेले में कई अदभुत साधु संत देखने को मिलते हैं और इस बार भी ये देखने को मिल रहा है। कई अजब-गजब बाबा पहुंच रहे हैं। चलिए आपको कुछ संतों के बारे में बताते हैं जिन्हे उनकी कुछ विशिष्ट व्यक्तित्व के माध्यम से पहचाना जाता है।
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घोड़े वाले बाबा – महाकुंभ क्षेत्र में अब एक घोड़े वाले बाबा भी नजर आ रहे हैं। बाबा का नाम बाबा विजय पुरी है। बाबा के मुताबिक, वे चार घोड़े बरेली से लेकर आये हैं औरक्षेत्र में घोड़े से आने-जाने का काम करेंगे।
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कंप्यूटर बाबा – कंप्यूटर बाबा का मूल नाम नामदेव दास त्यागी है। उन्हें 1998 में नरसिंहपुर के एक संत द्वारा “कंप्यूटर बाबा” (कंप्यूटर संत) का नाम दिया गया था। यह इस तथ्य के कारण है कि वे कार्टून देखने के लिए अपने लैपटॉप को हर समय कैरी करते हैं। इनकी गैजेट और तकनीक में विशेष रुचि है। इसलिए इन्हें कंप्यूटर बाबा कहा जाता है. उन्होंने भी इस बार महाकुंभ में शिरकत की है।
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सात फीट लंबी जटा वाले महंत मंगलानंद सरस्वती – आवाहन अखाड़े के महंत मंगलानंद सरस्वती नागा महाराज की जटा सात फीट से ज्यादा लंबी है। वह इन जटाओं की देखभाल 30 साल से कर रहे हैं। जब वो अपनी जटाओं को लपेटकर बांध लेते हैं, तो उनकी जटा सिर पर मुकुट की तरह दिखने लगती है। हरियाणा के करनाल के रहने वाले महंत मंगलानंद नागा सन्यासी हैं। उन्होंने जटाओं को भगवान शंकर और राम का प्रतीक बताया है। उनका कहना है कि शिव के गण माने जाने वाले कई नागा लंबी जटाएं रखते हैं। आवाहन अखाड़े के नागा संन्यासी महंत मंगलानंद सरस्वती के मुताबिक, वह पिछले पांच कुंम्भ, अर्धकुम्भ मेले में आ चुके हैं ।
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एंबेसडर वाले बाबा – महंत राज गिरी नागा बाबा 35 साल से एक एंबेसडर कार की सवारी कर रहे हैं ये जहां भी जाते हैं अपनी एंबेसडर कार से ही पहुंचते हैं। इनके खाने-पीने, सोने और रहने की व्यवस्था भी इसी कार में है इसलिए इन्हें एंबेसडर बाबा कहा जाता है। बाबा के अनुसार यह 1972 मॉडल की कार है और पिछले 35 वर्षों से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्हें यह कार एक भक्त ने गिफ्ट की थी, जिसके बाद से वह इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
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सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने वाले गीतानंद गिरी – प्रयागराज में गीतानंद गिरी बाबा सनातन धर्म की सेवा और तपस्या की मिसाल बने हुए हैं। सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने वाले बाबा श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े की हरिद्वार शाखा के सेक्रेटरी भी हैं। बाबा ने साल 2019 में प्रयागराज कुंभ के दौरान 12 साल तक प्रतिदिन सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया था। बाबा के कठिन संकल्प के 6 वर्ष पूरे हो चुके हैं और आज उनके शरीर पर करीब 2 लाख रुद्राक्ष हैं, जिनका कुल वजन 45 किलो से भी अधिक है।
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एक हाथ उठाये हुए हैं राधे पुरी बाबा – उज्जैन के राधे पुरी बाबा ने 14 वर्षों से अपना एक हाथ उठा कर रखा है। इसे हठ योग कहते हैं।
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उंगलियो से लंबे नाखून वाले बाबा – महाकाल गिरी बाबा 9 साल से अपना एक हाथ ऊपर उठाए हुए हैं, इस हाथ में उनके नाखून उनके उंगलियों से भी बड़े हो गए हैं। महाकाल गिरी बाबा राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले हैं। बाबा का कहना है कि वो तपस्या सनातन धर्म की रक्षा और देश के भविष्य की सुरक्षा के लिए कर रहे हैं।
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डिजिटल मौनी बाबा – डिजिटल मौनी बाबा राजस्थान के उदयपुर से हैं. ये 41 साल से मौन व्रत धारण किये हुए हैं और अपने शिष्यों से सारी बातें डिजिटल माध्यम से करते हैं। इसके लिए ये कोई कॉपी कलम नहीं बल्कि डिजिटल बोर्ड रखते हैं। मौनी महाराज का असली नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है वो प्रतापगढ़ के चिलबिला में शिवशक्ति बजरंग धाम से आए हैं। मौनी बाबा ने मौन व्रत धारण करने के साथ अन्न जल भी त्याग दिया था। तबसे वो न कुछ पीते हैं न खाते हैं वो केवल चाय पर ज़िंदा हैं यानी दिन भर की 10 चाय पर उनका शरीर चलता है। बाबा जी के पास कोई कॉपी कलम नहीं बल्कि एक स्मार्ट डिजिटल बोर्ड है। जिस पर वह लिखकर अपनी आवश्यकताओं के लिए शिष्यों को बताते हैं। मौन होने के पीछे का उद्देश्य सनातन धर्म का उत्थान एवं सनातन धर्म को लेकर फैलाई गई बुराइयों को दूर करने के लिए है।
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रुद्राक्ष बाबा – रुद्राक्ष बाबा कुल 108 मालाएं पहनते हैं। इन मालाओं में 11 हजार रुद्राक्ष हैं, जिनका भार 30 किलो से भी ज्यादा है। इस वजह से लोग इन्हें रुद्राक्ष बाबा के नाम से पुकारते हैं। बाबा श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़े की हरिद्वार शाखा के सेक्रेटरी भी हैं। बाबा ने साल 2019 में प्रयागराज कुंभ के दौरान 12 साल तक प्रतिदिन सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया था. बाबा के कठिन संकल्प के 6 वर्ष पूरे हो चुके हैं ।
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सिलेंडर वाले बाबा – राजस्थान के भरतपुर के हनुमान मंदिर के महंत बाबा जानकीदास 66 साल के हैं इनकी 21 फीट लंबी दाड़ी है। ये अपनी दाड़ी दो सिलेंडर उठा लेते हैं। इन्होंने दाड़ी से वजन उठाने में कई प्रतियोगिताएं जीती हैं। एक बार इन्हें इनाम में मोटरसाइकिल भी मिली थी। वे दाढ़ी वाले चैंपियन बाबा के रूप में जाने जाते हैं। 65 साल के बाबा जानकीदास ने 30 साल पहले गृह त्याग कर संत मार्ग अपना लिया था। वे हनुमान मंदिर में पूचा-पाठ करते हैं। मथुरा बाईपास पर हनुमान मंदिर के वे महंत हैं।
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बवंडर बाबा – एक महात्मा कुंभ में बाइक से पहुंचे हैं। केसरिया रंग की बाइक पर झंडा और जागरूकता संदेश लिखा हुआ है। इन संत को बवंडर बाबा के नाम से लोग जानते हैं। बवंडर बाबा 25 राज्यों में जन-जागरूकता के लिए तकरीबन 1.15 किलोमीटर की यात्रा कर चुके हैं। बवंडर बाबा का कहना है कि उनका नाम और प्रचार का विषय बवंडर मचाने वाला है। उनका असली नाम विनोद सनातनी है।
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चाबी वाले बाबा – ये बाबा 20 किलो की चाबी लेकर यात्रा पर निकले हैं, जिसे ये राम नाम की चाबी बताते हैं। इनका असली नाम हरिशचंद्र है और ये उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले हैं। इन्होंने 16 साल की उम्र में ही घर-बार त्याग दिया था।