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महाशिवरात्रि पर जाने शिव-पार्वती के विवाह की कथा

By Tami

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शिव - पार्वती के विवाह

धर्म संवाद / डेस्क : महाशिवरात्रि का त्योहार हमारे देश में बड़ी धूम–धाम से मनाई जाती है। हर कोई इस दिन भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए उपवास रखता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह इसी दिन समपन्न हुआ था। तो चलिए जानते हैं इस कथा के बारे में।

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महादेव का विवाह सर्वप्रथम प्रजापति दक्ष की पुत्री सती से हुआ था। परन्तु अपने पिता द्वारा भगवान शिव का अपमान किये जाने पर देवी सती ने अग्निकुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। उसके बाद उन्होंने ही देवी पार्वती के रूप में दुबारा जन्म लिया। साथ ही शिवजी घोर तपस्या में चले गए। इस दौरान तारकासुर का आतंक था। उसका वध शिवजी का पुत्र ही कर सकता था लेकिन शिवजी तो तपस्या में लीन थे। ऐसे में देवताओं ने शिवजी का विवाह पार्वतीजी से करने के लिए एक योजना बनाई। उसके तहत कामदेव को तपस्या भंग करने के लिए भेजा गया। कामदेव ने तपस्या तो भंग कर दी लेकिन वे खुद भस्म हो गए। 

पार्वती जी ने भी ठान लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए वे भगवान शिव से विवाह कर के रहेगी। शिव को अपना वर बनाने के लिए माता पार्वती ने बहुत कठोर तपस्या शुरू कर दी।उनकी तपस्या के चलते सभी जगह हाहाकार मच गया।बड़े-बड़े पर्वतों की नींव डगमगाने लगी। ये देख भोले बाबा ने अपनी आंख खोली और पार्वती से आवहन किया कि वो किसी समृद्ध राजकुमार से शादी करें। शिव ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक तपस्वी के साथ रहना आसान नहीं है।लेकिन माता पार्वती तो अडिग थी, उन्होंने साफ कर दिया था कि वो विवाह सिर्फ भगवान शिव से ही करेंगी। अब पार्वती की ये जिद देख भोलेनाथ पिघल गए और उनसे विवाह करने के लिए राजी हो गए।

फिर जब भगवान शिव जब बारात लेकर पहुंचे तो उनके साथ संपूर्ण जगत के भूत-प्रेत थे। इसके अलावा डाकिनियां, शाकिनियां और चुड़ैलें भी शिव जी की बारात में शामिल थीं। उन्होंने ने ही भोलेनाथ का भस्‍म से श्रृंगार किया। हड्डियों की माला पहनाई। इस अनोखी बारात को देखकर तो रानी मैना देवी यानी कि माता पार्वती की मां हैरान रह गईं। उन्होंने अपनी बेटी का विवाह करने से इंकार कर दिया। माता पार्वती ने उनसे आग्रह किया कि वह विवाह की परंपरा के अनुसार तैयार होकर आएं। इसके बाद भोलेनाथ ने उनकी विनती स्वीकार की और दुल्हे के रूप में तैयार हुए। उनके इस अनुपम सौंदर्य को देखकर रानी मैना देवी चकित रह गईं। इसके बाद ब्रह्मा जी की मौजूदगी में देवी पार्वती और भोलेनाथ का विवाह संपन्न हुआ। 

पौराणिक कथा के एक अन्य संस्करण के अनुसार, देवी पार्वती ने अपने पति पर आने वाली किसी भी बुराई को दूर करने के लिए शिवरात्रि की शुभ चांदनी रात में तप और प्रार्थना की। तब से, महिलाओं ने शिवरात्रि के दिन अपने पति और बेटों की सलामती के लिए प्रार्थना करने की परंपरा शुरू की। अविवाहित महिलाएं शिव जैसे पति के लिए प्रार्थना करती हैं, जिन्हें आदर्श पति माना जाता है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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