धर्म संवाद / डेस्क : श्री राम सिर्फ हमारे संस्कृति का ही हिस्सा नहीं हैं बल्कि हमारे इतिहास और विश्वास का भी हिस्सा है। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता था। वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में उनके बारे में कई जानकारियाँ दी गयी है। चलिए आपको श्री राम के बारे में कुछ अनोखी और रोचक बातें बताते हैं।
यह भी पढ़े : भगवान गणेश का नाम कैसे पड़ा एकदंत
- शोधानुसार, भगवान राम का जन्म 5114 ईस्वी पूर्व चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को हुआ था। उस दिन देशभर में रामनवमी मनाई जाती है।
- भगवान राम को मिले 14 वर्षो के वनवास में 12 वर्ष उन्होंने जंगल में रहकर ही काटे। 12वें वर्ष की समाप्त के दौरान सीता का हरण हो गया तो बाद के 2 वर्ष उन्होंने सीता को ढूंढने, वानर सेना का गठन करने और रावण से युद्ध करने में गुजारे।
- कुछ ग्रंथों में भगवान श्रीराम की एक बहन होने का वर्णन भी मिलता है। उनका नाम शांता था। कहते हैं राजा दशरथ ने उन्हें अंगदेश के राजा रोमपाद को गोद दे दिया था। जिसके बाद शांता का विवाह ऋषि ऋष्यश्रृंग से हुआ था।
- श्रीरामचरित मानस में वर्णन है कि श्रीराम सीता स्वयंवर में गए थे, जबकि वाल्मीकि रामायण में सीता स्वयंवर का वर्णन नहीं मिलता है। उसके अनुसार, राम व लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिला गए थे। विश्वामित्र ने ही राजा जनक से श्रीराम को वह शिवधनुष दिखाने के लिए कहा। तब श्रीराम ने उस धनुष को उठा लिया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया। जिसके बाद माता सीता के साथ उनका विवाह हुआ ।
- वाल्मीकि रामायण के अनुसार, विवाह के समय भगवान श्रीराम की उम्र 13 साल और देवी सीता की उम्र 6 वर्ष थी।
- भगवान राम के धनुष का नाम कोदंड था इसीलिए प्रभु श्रीराम को कोदंड धारी कहा जाता था। ‘कोदंड’ का अर्थ होता है बांस से निर्मित। कोदंड को हर कोई धारण नहीं कर सकता था। कोदंड एक ऐसा धनुष था जिसका छोड़ा गया बाण लक्ष्य को भेदकर ही वापस आता था।
- माना जाता है गिलहरी के शरीर पर मिलने वाली तीन धारियां प्रभु श्रीराम के ही कारण हैं। पौराणिक कथा के अनुसार,लंका जाने के लिए जब वानर सेना समुद्र पर सेतु बना रही थी तब एक छोटी सी गिलहरी भी अपने मुंह में कंकड़ पत्थर भरकर सेतु बनाने में मदद कर रही थी। उसके प्रेम को देखकर भगवान ने उसे अपने हाथो में लिया और प्यार से उसकी पीठ पर उंगलियां फिराने लगे. गिलहरी के शरीर पर जहां जहां भगवान श्रीराम की उंगलियां पड़ी वही धारियां बन गईं। माना जाता है तभी से गिलहरी के शरीर पर तीन धारियां हैं।
यह भी पढ़े : काशी के कोतवाल कैसे बने काल भैरव, जाने पौराणिक कथा
- मायावी रावण को हराने के लिए भगवान राम को देवराज इंद्र ने एक रथ दिया था। इसी रथ पर बैठकर भगवान राम ने रावण का वध किया था।
- श्रीरामचरित मानस के अनुसार श्रीराम ने 31 बाण एक साथ रावण को मारे थे। इन 31 बाणों में से 1 बाण रावण की नाभि पर लगा, बाकी 30 बाणों से उसके 10 सिर और 20 हाथ धड़ से अलग हो गए।
- भगवान राम ने ग्यारह हजार वर्षों तक अयोध्या राज्य पर शासन किया थाl इस स्वर्णिम काल को “राम राज्य” के रूप में जाना जाता हैl
- ऐसा माना जाता है कि जब सीता ने पृथ्वी के अन्दर समाहित होकर अपने शरीर का परित्याग कर दिया तो उसके बाद राम ने सरयू नदी में जल समाधि लेकर पृथ्वीलोक का परित्याग किया था|
- भगवान राम के ‘राम’ नाम को विष्णु सहस्रनाम के तुल्य कहा गया है। राम नाम का जप करने से व्यक्ति की मृत्यु के समय वैकुंठ की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, जो लोग राम नाम का स्मरण करते हैं, उन्हें सकारात्मकता का अहसास होता है और उनका मन शांत रहता है।