कोणार्क सूर्य मंदिर के रोचक तथ्य

By Tami

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कोणार्क सूर्य मंदिर के रोचक तथ्य

धर्म संवाद / डेस्क : भारत में लाखों मंदिर हैं परंतु भगवान सूर्य को समर्पित बस कुछ ही मंदिर है। उन्मे से सबसे प्रसिद्ध है कोणार्क का सूर्य मंदिर। इस मंदिर की पौराणिक मान्यता तो है ही साथ ही इसका ऐतिहासिक महत्व भी है। यह मंदिर रहस्यों से भरा पड़ा है। दुनिया भर से लोग इस ऐतिहाससिक धरोहर को देखने आते हैं। यह मंदिर वर्ल्‍ड हैरिटेज की लिस्ट में शामिल है। चलिए आपको बताते हैं कोणार्क सूर्य मंदिर के रोचक तथ्य ।

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इस मंदिर का निर्माण 1250 ई. में गंग वंश राजा नरसिंहदेव प्रथम ने कराया था।

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मंदिर का नाम दो शब्दों कोण और अर्क से जुड़कर बना है कोण यानि कोना और अर्क का अर्थ सूर्य है। यानी सूर्य देव का कोना।

इस मंदिर के निर्माण में मुख्यत बलुआ, ग्रेनाइट पत्थरों व कीमती धातुओं का इस्तेमाल किया गया है।

यह मंदिर 229 फीट ऊंचा है इसमें एक ही पत्थर से निर्मित भगवान सूर्य की तीन मूर्तियां स्थापित की गई है। 

मंदिर में सूर्य के उगने, ढलने व अस्त होने सुबह की स्फूर्ति, सायंकाल की थकान और अस्त होने जैसे सभी भावों को दर्शाया गया है। 

मंदिर एक रथ के आकार का बना हुआ है, जिसमें बेहतरीन नक्काशीदार पहिए और सरपट दौड़ते 7 घोड़े हैं जो रथ को खींच रहे है। देखने पर ऐसा लगता है कि मानों इस रथ पर स्वयं सूर्यदेव बैठे है। मंदिर के 12 चक्र साल के बारह महीनों को परिभाषित करते हैं और प्रत्येक चक्र, आठ अरों से मिलकर बना है, जो हर एक दिन के आठ पहरों को प्रदर्शित करता हैं। वहीं अब सात घोड़ें हफ्ते के सात दिनों को दर्शाता है।

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इस मंदिर की सबसे रोचक बात यह है कि मंदिर के लगे चक्रों पर पड़ने वाली छाया से हम समय का सही और सटीक अनुमान लगा सकते है। यह प्राकृतिक धुप घड़ी का कार्य करते हैं। 

प्रचलित कथाओं के अनुसार मंदिर के ऊपर 51 मीट्रिक टन का चुंबक लगा हुआ था। जिसका प्रभाव इतना अधिक प्रबल था जिससे समुद्र से गुजरने वाले जहाज इस चुंबकीय क्षेत्र के चलते भटक जाया करते थे और इसकी ओर खींचे चले आते थे। इन जहाजों में लगा कम्पास (दिशा सूचक यंत्र) गलत दिशा दिखाने लग जाता था। इसलिए उस समय के नाविकों ने उस बहुमूल्य चुम्बक को हटा दिया और अपने साथ ले गये।

एक समय ऐसा भी था जब मंदिर का मुख्य चुंबक, अन्य चुंबकों के साथ इस तरह की व्यवस्था से सजाया हुआ था। कि मंदिर की मूर्ति हवा में तैरती हुई नजर आती थी। 

मंदिर के अन्दर सूर्य भगवान की मूर्ति को ऐसे रखा गया था कि उगते हुए सूर्य की पहली किरण उस पर आकर गिरती थी। जिसकी रोशनी से पूरा मंदिर जगमगा उठता था।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .