हनुमान जी क्यों बने ब्रह्मचारी, जाने इसके पीछे का कारण और कथा

By Tami

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हनुमान जी क्यों बने ब्रह्मचारी

धर्म संवाद / डेस्क : अंजनी पुत्र हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी है। यह बात तो हर कोई जानता है। परंतु आखिर उन्हे ब्रह्मचर्य  धारण क्यों करना पड़ा। इसके पीछे कई महत्वपूर्ण धार्मिक, आध्यात्मिक और पौराणिक कारण और कथाएं हैं। 

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जैसा कि हम सब जानते हैं कि हनुमानजी श्री राम के परम भक्त हैं।  मान्यता के अनुसार, उन्होंने अपना पूरा जीवन श्रीराम की सेवा और भक्ति में समर्पित कर दिया। उन्हें लगता था कि यदि वे गृहस्थ जीवन में प्रवेश करेंगे, तो उनके मन में सांसारिक बंधन उत्पन्न हो सकते हैं, जो उनकी भक्ति में बाधा बनेंगे। इसलिए, उन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन किया। यह भी कहा जाता है कि हनुमानजी की माता अंजनी ने उनसे वचन लिया था कि वे ब्रह्मचारी रहेंगे, ताकि वे संसार के मोह-माया से मुक्त रहकर सदैव धर्म की सेवा कर सकें।

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कुछ कथाओं में बताया गया है कि हनुमान जी ने सूर्यदेव को अपना गुरु बनाया और उनसे नौ दिव्य विद्याओं का ज्ञान प्राप्त करना चाहा।  लेकिन कुछ विद्याएँ केवल विवाहित व्यक्ति ही सीख सकते थे, इसलिए हनुमान जी को सूर्यदेव की बेटी सुवर्चला से विवाह करना पड़ा।  परंतु विवाह के तुरंत बाद सुवर्चला तपस्या में लीन हो गई और हनुमान जी ने अपना जीवन धर्म की सेवा में ही लगाया। इस तरह उनका ब्रह्मचर्य  टूट गया। ब्रह्मचर्य हनुमान जी की शक्ति और भक्ति दोनों का स्रोत था सूर्य के अनुसार, सुवर्चला एक अयोनिजा ( योनि की भागीदारी के बिना पैदा हुई ) थीं। 

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एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, ब्रह्मचर्य का पालन करने से अपार शक्ति, आत्म-नियंत्रण और दिव्य सिद्धियों की प्राप्ति होती है। हनुमानजी ने इन्हीं सिद्धियों और शक्तियों का उपयोग भगवान राम की सेवा और धर्म की रक्षा के लिए किया। हनुमानजी को ज्ञान, बल, वैराग्य और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। ब्रह्मचर्य उनके वैराग्य और तपस्वी जीवन का परिचायक है, जो उन्हें महान योद्धा और पराक्रमी बनाता है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .