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इस मंदिर में भद्रकाली को खुश करने के लिए दी जाती हैं गालियां, जाने अनोखे मंदिर की अनोखी प्रथा

By Tami

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korumba bhagvati

धर्म संवाद / डेस्क : देशभर में कई ऐसे मंदिर हैं जिनकी खासियत उस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं और कथाएँ हैं. ये मान्यताएं सैकड़ो साल पुरानी होती है. हम आपको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो दक्षिणी भारत के केरल राज्य में है. इस मंदिर में माता भद्रकाली की पूजा कुरुंबा भगवती के नाम से होती है. यहाँ माता को प्रसन्न करने के लिए गालियाँ दी जाती हैं.

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केरल के कोडुंगल्लूर जिले में माता भद्रकाली की पूजा कुरुंबा भगवती के नाम से होती है. ये जगह थ्रिसूर जिले में पड़ती है. इस मंदिर में मां भ्रद्रकाली की एक मूर्ति है जिसके आठ हाथ हैं. मूर्ति करीब 6 फीट की है. भद्रकाली के अलावा भी इस मंदिर में गणपति और वीरभद्र की भी मूर्तियाँ स्थापित हैं. इस जगह को कंनगी का निवास स्थान भी कहा जाता है. आपको बता दे कनकी तमिल महाग्रंथ सीलापथिकारम की केंद्रीय कैरेक्टर हैं. माना जाता है कि ये मंदिर उन्हीं की याद में बनाया गया है.

भरानी फेस्टिवल

मान्यता के मुताबिक पहले ये भगवान शिव का मंदिर हुआ करता था. लेकिन इस जगह पर मां भद्रकाली की मूर्ति परशुराम ने स्थापित की थी.इसके बाद इस मंदिर में मां भद्रकाली की पूजा होने लगी.  इस मंदिर में हर साल भरानी फेस्टिवल होता है.भरानी फेस्टिवल केरल के सबसे बड़े उत्सवों में गिना जाता है. इस उत्सव में कुछ महिलाएं और पुरुष शामिल होते हैं. इस उत्सव की शुरुआत कोझीक्कलू मूडल नाम के एक विधान के साथ शुरू होती है जिसमें मुर्गों की बलि दी जाती है. यहां मनाए जा रहे उत्सव के दौरान कोडून्गलूर के राजा विशेषरूप से हिस्सा लेते हैं. भद्राकालि वहां के राजपरिवार की संरक्षक मानी जाती हैं. राजपरिवार भी इस पूजा के में खासतौर पर कुछ विधान करता है.

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इसके बाद इस पूजा महिलाएं और पुरुष शामिल होते हैं. इन्हें मलयाली में वेलिचपड़ कहा जाता है. इसमें महिलाएं काली मां की तरह ही तैयार होती हैं. फिर ये पुरुष और महिलाएं हाथ में तलवार लेकर पूजा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान इन पर काली मां का साया होता है. इसी विधि के दौरान ये वेलिचपड़ काली मां को बुरा भला कहते हैं और गालियां भी देते हैं. विधि के मुताबिक ऐसा देवी मां को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है. इसके बाद अगले दिन शुद्धिकरण का विधान भी किया जाता है. इस उत्सव के अगले चरण में मां भद्रकाली कि मूर्ति पर चंदन का लेप भी किया जाता है.

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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