Do you want to subscribe our notifications ?

श्री राधा जी की आरती

By Tami

Published on:

राधा जी

धर्म संवाद / डेस्क : श्री राधा रानी को भगवान श्रीकृष्ण की परमप्रिया और भक्ति की सर्वोच्च देवी माना जाता है। वे शुद्ध प्रेम, करुणा, त्याग और माधुर्य की मूर्ति हैं। श्री राधा जी की उपासना करने से मनुष्य का हृदय निर्मल होता है और वह भगवान से आत्मिक रूप से जुड़ता है।  श्री राधा जी की आरती करने से मन, बुद्धि और आत्मा को शुद्धि प्राप्त होती है। यह आरती प्रेमभाव को जाग्रत करती है और श्रीकृष्ण भक्ति में स्थिरता प्रदान करती है। आरती से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन शांत होता है।

यह भी पढ़े : वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का – भजन

आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की…आरती श्री वृषभानु लली की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि ।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ॥
.
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
.
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरति सोहनि ।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति सदा सखी ललिता की ॥
.
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
.
संतत सेव्य सत मुनि जनकी, आकर अमित दिव्यगुन गनकी ।
आकर्षिणी कृष्ण तन मनकी, अति अमूल्य सम्पति समता की ॥
.
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
.
कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि, चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि ।
जगजननि जग दुखनिवारिणि, आदि अनादिशक्ति विभुता की ॥
.
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

Exit mobile version