एक ऐसी परंपरा जिससे श्रद्धालु और मंदिर प्रशासन दोनों हैं परेशान, यह श्रद्धा है या अंधविश्वास

By Tami

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सामोद के महामाया मंदिर का रास्ता

धर्म संवाद / डेस्क : हमारे भारत देश में अनेक ऐसे मंदिर और देवी-देवता हैं जिनकी पूजा करने की विधि अलग है. कई जगह मन्नतें मांगने के लिए पेड़ो में कलावा, नारियल आदि चढ़ाया जाता है. मनुष्य का स्वभाव है एक दुसरे को देखकर प्रेरित होना और ठीक वैसा बर्ताव करना. अगर किसी ने गलती ने एक जगह फूल रख दिया हर कोई उसे देख उस एक जगह में फूल रखता रहेगा और कुछ समय बाद सब ये कहेंगे कि यहाँ फूल रखने की प्रथा है. ऐसे कई प्रथाएं है जो इसी तरह से शुरू हुई हैं. पर हर समय यह भले के लिए नहीं होते.कुछ प्रथाओं से धर्म-स्थल की प्रतिष्ठा को नुक्सान पहुँचता है.  राजस्थान के जयपुर से 48 किलोमीटर दूर सामोद के महामाया मंदिर के पास एक ऐसी ही अनोखी परंपरा है जिससे मंदिर प्रशासन भी परेशान है.

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दरअसल, सामोद के महामाया मंदिर जाने के लिए करीब 2 किलोमीटर बरसाती नदी पार करने के बाद पहाड़ी रास्ता पड़ता है. उस रास्ते में दोनों ओर झाड़ियाँ और पेड़ हैं जिनमे फटे – पुराने कपड़े टंगे हुए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि फटे –पुराने कपड़ो को झाड़ियों और पेड़ो पर टांगने की परंपरा पिछले 20 सालों से चली आ रही है. लोगों में मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.उनकी इस मान्यता के वजह से मंदिर जाने का रास्ता देखने से ऐसा लगता ही नहीं कि हम कोई मंदिर जा रहे हो. आपको बता दे मंदिर प्रशासन ने इसके लिए बोर्ड भी लगाये हैं साथ ही समय-समय पर पुरे रास्ते की सफाई कर सारे कपड़ो को जलाता है.परन्तु, फिर भी कपड़े वापस लग जाते हैं.

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स्थानीय लोग कहते हैं, कि मंदिर में पुराने समय से परंपरा थी कि यहाँ जात-जदुला करने वाले लोग स्नान करते थे और फिर माता के दर्शन करते थे. मन्नत मांगने के लिए पनवाड़ा चढ़ाते थे, जिसमे नारियल और चावल होता था. मन्नत पूरी होने पर लोग माता को वस्त्र और सुहाग सामग्री चढ़ाई जाती थी. 20 साल पहले महिलाएं बालों में बाँधने वाले रिब्बन टांगा करती थी. परन्तु कपड़े टांगने की परंपरा नहीं थी. कुछ लोग कहते हैं कि हो सकता है कि स्नान के बाद लोगों ने सुखाने के लिए कपड़े पेड़ो पर टाँगे हो और उतारना भूल गए हो और उन्हें देख और भी लोगों ने कपड़े टांगना शुरू कर दिया.

महामाया मंदिर के रास्ते में पहले लोग आराम किया करते थे परन्तु अब ऐसा दृश्य देख कर कोई रुकना पसंद नहीं करता. यह मंदिर प्रकृति से घिरा हुआ है मगर हम इंसानों ने इनपर हस्तक्षेप करके इनकी खूबसूरती बिगाड़ दी है.

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .