धर्म संवाद / डेस्क : छठ पूजा को महापर्व कहा जाता है. यह पूरी तरह से प्राकृतिक होता है. इस पर्व में उगते सूर्य और ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. शास्त्रों की माने तो ऋषि-मुनि हमेशा ही सूर्य को अर्घ्य अन्य पूजा की शुरुआत करते थे. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार,सूर्य देव को जल चढ़ाना बेहद शुभ माना गया है. साथ ही इसके वैज्ञानिक लाभ भी है. चलिए जानते हैं.
यह भी पढ़े : क्या होता है रुद्राक्ष और कितने होते हैं उनके प्रकार
ऐसा माना जाता है कि सूर्य को अर्घ्य देने से भगवान सूर्य जीवन की कई समस्याओं से राहत देते हैं और साथ ही रोगों से भी मुक्ति मिलती है .वही भगवान सूर्य सुबह दोपहर और शाम तीन समय में प्रभावी होते हैं.जो सुबह के वक्त भगवान सूर्य की आराधना करता है उनकी सेहत तंदुरुस्त रहती है. सभी तरह के बीमारी समाप्त हो जाती है. जो दोपहर में भगवान सूर्य की आराधना करता है उनकी यश बढ़ती है और जो ढलते सूर्य की अराधना करता है उनके घर में सुख समृद्धि बढ़ती है. साथ ही आपको ये भी बता दे की सूर्य जब ढलता है तो तब सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. उसे समय अर्घ देने से जातक की मनोकामनाएं तुरंत पूर्ण हो जाती है.
माना जाता है कि जल की धारा में से उगते सूरज को देखना चाहिए इससे धातु और सूर्य कि किरणों का असर आपकी दृष्टि के साथ-साथ आपके मन पर भी पड़ेगा और आपको सकारात्मक उर्जा का आभास होता रहेगा. उषाकाल के सूर्य की उपासना करने से मुकदमें में फंसे हो तो निकल जाते हैं. परीक्षा में लाभ मिलता है. सूर्य को जल चढाने समय जो किरण हम तक पहुँचती हैं वो हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है.
जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है कहते हैं कि उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है. अगर वैसे लोग सूर्य को जल चढ़ाते हैं, तो इससे उनके शरीर में स्फूर्ति आती है साथ ही आत्मविश्वास बढ़ता है।