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धनतेरस पर क्यों जलाया जाता है ‘यम दीपक’? क्या है इसका महत्व और इसके पीछे की कथा

By Tami

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यम दीपक

धर्म संवाद / डेस्क : धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश , कुबेर देवता, धन्वंतरि देव के साथ-साथ यमराज की पूजा का भी विधान है.  इस दिन यमराज के नाम पर विशेषकर दिया जलाया जाता है जिसे यम दीपक कहते हैं . यह चार मुख वाला दीपक होता है जिसे दक्षिण दिशा में जलाया जाता है. चलिए जानते हैं कि आखिर यम दीपक क्यों जलाते हैं.

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इसके पीछे  सुन्दर पुराण की एक कथा है. कहते हैं, एक राज्य में हेम नाम का राजा था. उनके घर जब पुत्र उत्पन्न हुआ तो उन्होंने अपने बेटे की कुंडली कुछ विद्वान पंडितों को दिखाई तो उन्हें पता चला कि विवाह के चार दिन बाद ही बेटे की मृत्यु हो जाएगी. ऐसे में राजा को चिंता हुई और उन्होंने राजकुमार को ऐसी जगह भेज दिया जहां किसी लड़की की परछाई भी उस पर न पड़े.

राजकुमार को इस बात का पता नहीं था. सावधानी के बावजूद राजकुमार ने एक राजकुमारी से विवाह कर लिया. रीति के अनुसार, विवाह के चौथे दिन यमराज के दूत राजकुमार के पास आ गए. राजकुमार की पत्नी विलाप करने लगी और दूतों से अकाल मृत्यु से बचने का उपाय जाना. दूतों ने ये सारी बातें यमराज को बताई. यमराज ने बताया कि मृत्यु अटल है, लेकिन धनतेरस के दिन यानी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन जो व्यक्ति दीप प्रज्वलित करेगा वह अकाल मृत्यु से बच सकता है.

यम दीपक जलाने के लिए आटे का चौमुखा दीपक बनाकर उसमें 4 बाती लगाकर, उसमें सरसों का तेल भरें. फिर इस दीपक को जलाकर घर के दक्षिण दिशा की ओर मुख करके रख दें. यमराज को दक्षिण दिशा का स्वामी माना जाता है. दक्षिण दिशा में यम दीपक जलाने से यमराज की कृपा बनी रहती है और नर्क की यातनाएं नहीं सहनी पड़ती. इससे अकाल मृत्यु का भए टलता है . इसके साथ ही सुख-शांति और आरोग्य के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है. स्कंद पुराण और पद्म पुराण में भी यम के दीपक का वर्णन मिलता है.

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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