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दिवाली के बाद देव दीपावली क्यों मनाई जाती है

By Tami

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देव दीपावली

धर्म संवाद / डेस्क : दीपावली का त्योहार मनुष्यों के लिए ही नहीं देवताओ के लिए भी है। जी हाँ, कार्तिक मास की अमावस्या को दिवाली मनाई जाती है। उसके 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा देवताओं की दिवाली होती है जिसे देव दीपावली के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि, इस दिवाली में देवतागण धरती पर आते हैं और दीप जलाकर खुशी मनाते हैं। दिवाली महापर्व की तरह देव दिवाली का बड़ा महत्‍व है। इस साल देव दीपावली 15 नवंबर 2024 को है। 

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान शिव ने त्रिपुरासुर राक्षस का वध किया था। तब देवताओं ने भगवान शिव की नगरी काशी में आकर दीप जलाकर दिवाली मनाई थी। तब से ही काशी में देव दीपावली मनाई जाती है और इस दिन लाखों दीपक जलाए जाते हैं। मान्‍यता है कि देव दिवाली की रात देवता रूप बदलकर काशी के गंगा तट पर आते हैं और दिवाली मनाते हैं।  देव दिवाली के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना और श्रृंगार भी किया जाता है।

इसके अलावा कई और कहानियाँ हैं। कहा जाता है,इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था। इसी दिन देवी तुलसीजी का प्राकट्य हुआ था। इस पूर्णिमा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है। इसी दिन गुरुनानक देवजी महाराज का जन्म हुआ था।

 मान्यता है कि अगर कोई भी इस दिन गंगा स्नान कर भगवान शिव की पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी। साथ ही जन्‍म-मृत्‍यु के चक्र से मुक्ति मिलती है मोक्ष की प्राप्ति होती है.

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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