धर्म संवाद / डेस्क : आखिरकार 500 सालों की तपस्या, बलिदान , संघर्ष का फल मिल ही गया। श्रीराम की अपने घर पर वापसी हो ही गयी। 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा सम्पूर्ण हुई। जिसके साथ रामलला अपने अयोध्या नगरी पधार गए। रामलला की मूर्ति के भी दर्शन हो गए। रामलला की मूर्ति काले रंग की है और 51 इंच की है। उन्हें 5 साल की उम्र के राजकुमार के रूप में दर्शाया गया है।
कई लोगो के मन में ये सवाल है की रामलला की मूर्ति काली क्यों है? आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य। आपको बता दे मंदिर में स्थापित की गई भगवान राम की मूर्ति का निर्माण श्याम शिला से हुआ है। इस पत्थर का रंग काला ही होता है। यही कारण है कि मूर्ति का रंग श्यामल है। इस काले पत्थर को शास्त्रों में कृष्ण शिला भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार कृष्ण शिला से बनी राम की मूर्ति खास होती है। इसी कारण से इस मूर्ति को श्याम शिला से बनाया गया है।
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साथ ही आपको ये भी बता दे श्याम शिला की आयु हजारों साल होती है। तो इससे मूर्ति को जल से कोई नुकसान नहीं होगा। साथ ही कहा जा रहा है कि चंदन, रोली आदि लगाने से भी मूर्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। रामलला के काले रंग के होने के पीछे यह भी एक कारण है कि वाल्मिकी रामायण में प्रभु राम के श्यामल रूप का वर्णन किया गया है, जिसके चलते उनकी मूर्ति का निर्माण इस पत्थर से किया गया है।
आपको बता दे रामलला की इस मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। इसकी ऊंचाई 4.24 फीट, जबकि चौड़ाई 3 फीट के करीब है। इस मूर्ति को मैसूर के मशहूर मूर्तिकार अरुण योगिराज ने बनाया है।
आपको जानकारी के लिए ये भी बता दे कि रामलला की मूर्ति के ऊपर स्वास्तिक, ॐ, चक्र, गदा और सूर्य देव विराजमान हैं। रामलला के चारों ओर आभामंडल है। भगवान राम की भुजाएं घुटनों तक लंबी हैं। मस्तक सुंदर, आंखें बड़ी और ललाट भव्य है। इनका दाहिना हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। मूर्ति में भगवान विष्णु के 10 अवतार दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति नीचे एक ओर भगवान राम के अनन्य भक्त हनुमान जी तो दूसरी ओर गरुड़ जी को उकेरा गया है।