धर्म संवाद / डेस्क : भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शास्त्रों में कई विधि-विधान बताए गए हैं. भगवान शिव की पूजा –अर्चना करने के लिए शिवलिंग पर गंगा जल और दूध से अभिषेक किया जाता है.मान्यता है कि जो कोई शिवलिंग पर दूध चढ़ाता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. चलिए जानते है शिवलिंग पर कच्चा दूध चढाने के पीछे की वजह.
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब शिवलिंग पर दूध डाला जाता है,तब उर्जा का प्रवाह लिंगम की ओर केन्द्रित होने चलता है. इससे मन मस्तिष्क के में सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है. इसके अलावा ज्योतिष में दूध चंद्र ग्रह से संबंधित माना गया है. दूध की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती है और शिवजी को ऐसी वस्तुएं प्रिय हैं जो शीतल हों.
दूध चढाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी है.समुद्र मंथन के दौरान संसार को बचाने के लिए शिव जी ने विषपान कर लिया था. इससे उनका पूरा कंठ नीला हो गया थाविष का प्रभाव शिव जी पर और जटा में बैठी गंगा मैं पर पड़ने लगा. तभी वहां उपस्थित सभी देवताओं ने उनके ऊपर जल चढ़ाना शुरू किया, लेकिन कोई ज्यादा असर नहीं हुआ. फिर देवी-देवताओं ने शिव से दूध ग्रहण करने का आग्रह किया. दूध ग्रहण करते ही उनके शरीर में विष का प्रभाव कम होने लगा. तभी से शिव जी को दूध अर्पित करने की परंपरा है. हालांकि, इसके बाद ही शिव जी का पूरा गला नीला हो गया. जिसके बाद उनका नाम नीलकंठ पड़ा.
शिवलिंग पर दूध चढाने के लाभ :
- यदि आपकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति खराब है, तो शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से ग्रहों की शांति होती है.
- यदि आप मनोकामना पूर्ति चाहते हैं, तो शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं.
- दूध चढ़ाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है.