धर्म संवाद / डेस्क : सनातन धर्म में हर देवी –देवता के वाहन होते हैं. वाहन उनकी सवारी होते हैं जो हमेशा उनके साथ रहते हैं . देवताओं के साथ –साथ उन्हें भी पूजनीय माना जाता है. देवी-देवताओं ने अपने वाहन के रूप में कुछ पशु या पक्षियों को चुना है, तो इसके पीछे उनकी विशिष्ठ योग्यता ही रही है. चलिए जानते विभिन्न देवी –देवताओं के वाहनों को.
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शिवजी का वाहन नंदी – नंदी को भगवान शिव की सवारी माना गया है. नंदी एक बैल है. बैल अपने स्वामी के प्रति समर्पित भाव से उसके लिए कार्य करता है. ज़्यादातर बैल शांत रहता है, लेकिन यदि नाराज हो जाए तो वह जल्दी किसी के काबू में नहीं आता है. भगवान शिव की सवारी बैल से हमें शक्ति का सदुपयोग करते हुए सही दिशा में सहज एवं शांत मन से श्रम करने की सीख मिलती है.
मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू – माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू है. रात्रि में विचरण करने वाला उल्लू एक क्रियाशील प्रवृत्ति वाला पक्षी है, जो कि अपने भोजन की तलाश में हमेशा लगा रहता है. ऐसे में लक्ष्मी जी के वाहन उल्लू से हमें अपने कार्य को निरंतर पूरी लगन एवं निष्ठा के साथ करने की सीख मिलती है. मान्यता है कि उल्लू से मिली इस सीख का जो पालन करते हैं, उनके यहां धन की देवी लक्ष्मी जी सदा कृपायमान रहती हैं.
सरस्वती जी का वाहन हंस – विद्या की देवी माता सरस्वती का वाहन हंस है. हंस एक बहुत समझदार निष्ठावान पक्षी माना जाता है. हंस प्रेम की मिसाल माना जाता है, जो कि मृत्यु तक हंसिनी के साथ ही रहता है. साथ ही साथ इसमें एक सबसे बड़ा गुण यह होता है कि यह किसी पात्र में दूध और पानी को मिलाकर रख दिया जाए तो वह उसमें से दूध को पी लेता है और पानी को छोड़ देता है. इससे हमें यह संदेश मिलता है कि हमें हमेशा दूसरों के अवगुण को किनारे करके सद्गुण को प्राप्त करना चाहिए.
भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ –भगवान श्री विष्णु का वाहन गरुण को माना गया है. इस पक्षी की खासियत होती है कि यह आकाश में बहुत ऊंचाई पर उड़ते हुए भी पृथ्वी के छोटे-छोटे जीवों पर नज़र रख सकता है. भगवान विष्णु के वाहन गरुण से हमें अपनी छोटी सी छोटी चीजों पर भी नजर बनाए रखते हुए जागरुक बने रहने की सीख मिलती है.
गणेश जी का वाहन मूषक – प्रथम पूजनीय भगवान गणेश की सवारी चूहा है. चूहे की प्रकृति होती है कुतरना. लेकिन गणपति, जिन्हें बुद्धि और सिद्धि का देवता माना जाता है, उन्होंने बड़ी बुद्धिमानी से चूहे को अपनी सवारी बनाकर कुतरने वाली प्राणी को अपने नीचे दबा दिया है. आपने देखा होगा कि गनेह्स जी हमेशा मूषक के ऊपर विराजमान रहते हैं. तात्पर्य यह है कि हमें भी हमेशा बुद्धि का प्रयोग करते हुए कुतर्क करने वाले लोगों की बातों को किनारे करते हुए अपने लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए.
माँ दुर्गा का वाहन शेर – देवी दुर्गा का वाहन शेर है. शेर की खासियत होती है कि वह हमेशा संयुक्त परिवार में रहता है. जंगल का राजा माना जाने वाला शेर सबसे शक्तिशाली प्राणी माना जाता है. इसमें सबसे बड़ा गुण होता है कि यह अपनी शक्ति को कभी व्यर्थ में खर्च नहीं करता है. देवी दुर्गा के वाहन से हमें यही संदेश मिलता है कि हमें सुख हो या दुख अपने परिवार के साथ मिलकर रहना चाहिए और अपनी शक्ति का सदुपयोग करना चाहिए.