धर्म संवाद / डेस्क : भगवान श्रीकृष्ण के तो दुनिया भर में कई मंदिर है. पर क्या आप सबने श्रीकृष्ण की बहन देवी योगमाया के मंदिर के बारे में सूना है. कहा जाता है कि यह मंदिर 5000 साल पुराना है. ये मंदिर कुतुब मीनार से सौ मीटर की दूरी पर महरौली के पास स्थित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार महरौली को पहले माता योगमाया के नाम पर योगिनीपुरम कहा जाता था. इस मंदिर का नाम दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में गिना जाता है.
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कथाओं के अनुसार, योगमाया श्रीकृष्ण की बड़ी बहन थीं जिनका जन्म उन्ही के साथ हुआ था . देवकी के सातवें गर्भ को योगमाया ने ही संकर्षण कर रोहिणी के गर्भ में पहुंचाया था, जिससे श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलरामजी का जन्म हुआ था.आसान शब्दों में समझाए योगमाया वह देवी हैं, जिन्हें कृष्ण के पिता वासुदेव ने यमुना नदी को पार करके लाया गया था और कृष्ण की जगह पर देवकी के बगल में रख दिया था. कंस ने इन्हें भी देवकी के अन्य संतानों की तरह मारना चाहा. लेकिन देवी योगमाया उसके हाथों से छिटककर आकाश में चली गई थीं और अपने वास्तिवक रूप में सामने आकर कंस की मृत्यु की भविष्यवाणी की और अंतर्ध्यान हो गईं.
ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर को पांडवों ने बनाया था. 970 ईस्वी में फ़ारसी शासक गजनी ने इस मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया था पर उसके बावजूद आज भी ये मंदिर खड़ा है. इसका मौजूदा स्वरूप 1827 से है. कहते हैं कि तोमरवंश के राजाओं ने इसका बड़े स्तर पर जीर्णोद्धार करवाया था. यहां की दीवारों पर देवी-देवताओं को भित्तिचित्रों और पत्थरों पर नक्काशी के जरिए दिखाया गया है.
योगमाया मंदिर में मूर्ति नहीं है, बल्कि काले पत्थर का गोलाकार एक पिंड संगमरमर के दो फुट गहरे कुंड में स्थापित किया हुआ है. पिंडी को लाल वस्त्र से ढका हुआ है, जिसका मुख दक्षिण की ओर है. मंदिर के द्वार पर लिखा हुआ है- योगमाये महालक्ष्मी नारायणी नमस्तुते. यह स्थान देवी के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में गिना जाता है.मान्यता तो यह भी है कि भगवान कृष्ण ने यहां पर पूजा की थी.