धर्म संवाद / डेस्क : भारत में अनोखे और चमत्कारी मंदिरों की संख्या कम नहीं है। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश में स्थित खजुराहों का मतंगेश्वर महादेव मंदिर भी है। स्थानीय लोग कहते हैं कि इस मंदिर में मौजूद शिवलिंग का आकार हर साल एक तिल के बराबर बढ़ता है। पर्यटन विभाग के कर्मचारी बकायदा टेप से इसे नापते है। इस मंदिर को महाभारत के समय का बताया जाता है। इस मंदिर का नाम महान मतंग ऋषि के नाम पर पड़ा है।
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माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 9 से 10 वीं शताब्दी के बीच चंदेला राजा हर्षवर्मन के द्वारा कराया गया था. मंदिर में मौजूद महादेव का शिवलिंग 9 फीट जमीन के अंदर और 9 फीट ही जमीन के बाहर है। मंदिर के पुजारियों का कहना है कि हर साल कार्तिक माह की शरद पूर्णिमा के दिन यहां स्थापित शिवलिंग का आकार एक तिल के बराबर बढ़ जाती है। टेप से नापने के बाद चमत्कारिक रूप से शिवलिंग पहले की तुलना में लंबा मिलता है। लोगों का मानना है कि शिवलिंग जितना ऊपर की तरफ बढ़ता है, उतना ही नीचे की तरफ भी बढ़ता है। साल भर इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
कहते हैं यहाँ श्रद्धापूर्वक पूजा करने के बाद अगर महादेव से कुछ भी मांगा जाए तो महादेव अवश्य प्रदान करते हैं। कहा ये भी जाता है कि यहीं पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इसीलिए यह मंदिर आदिदेव और आदिशक्ति के पवित्र प्रेम का प्रतीक भी माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण एक चमत्कारिक मणि रत्न के ऊपर कराया गया है। मान्यता अनुसार यह मणि स्वयं भगवान शिव ने सम्राट युधिष्ठिर को प्रदान की थी जो कि हर मनोकामना पूरी करती थी। युधिष्ठिर ने इसे मतंग ऋषि को दान में दे दिया था। मतंग ऋषि के पास से यह मणि राजा हर्षवर्मन के पास आई। जिन्होंने इस मणि को धरती के नीचे दबाकर उसके उपर इस मंदिर का निर्माण कराया। लोग कहते हैं आज भी मणि विशाल शिवलिंग के नीचे है। इसी कारण यहाँ मांगी जाने वाले हर मनोकामना पूर्ण होती है।
आपको बता दे शिवलिंग के बारे में एक और मान्यता है कि जब यह पाताललोक पहुंचेगा तब कलयुग का अंत हो जाएगा। पुरातत्व मंदिरों में मतंगेश्वर महादेव का ही एक ऐसा मंदिर है, जहां आज भी पूजा-पाठ होती है. शिवरात्रि के दौरान यहां पर शिव जी की बारात निकाली जाती है और मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है।