धर्म संवाद / डेस्क : राधा रानी को श्री कृष्ण की प्रेमिका कहा जाता है। बताया जाता है कि कृष्ण के बिना राधा अधूरी हैं तो राधा के बिना कृष्ण। महाभारत में ‘राधा’ के नाम का उल्लेख कही भी नहीं मिलता है।परंतु, श्रीमद्भागवत पुराण, विष्णुपुराण, ब्रह्मवैवर्त पुराण और स्कंद पुराण में राधा रानी के बारे में वर्णन मिलता है। इसके अलावा किवदंतियों और प्रचलित मान्यताओं के आधार पर श्रीमती राधा के बारे में कई जानकारियाँ मिलती हैं।
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पद्म पुराण के अनुसार राधा वृषभानु नामक वैष्य गोप की पुत्री थीं। उनकी माता का नाम कीर्ति था।
लोग मानते हैं कि राधा श्री कृष्ण से उम्र में बड़ी थी और उन्होंने जन्म के बाद अपनी आँखें नहीं खोली थी। उन्होंने सबसे पहले अपनी आंखे तब खोली जब श्री कृष्ण उनके सामने आए थे ।
गर्ग संहिता के अनुसार एक जंगल में स्वयं ब्रह्मा ने राधा और कृष्ण का गंधर्व विवाह करवाया था।
कहते हैं कि राधा के परिवार को जब इस बात का पता चला कि वे श्रीकृष्ण की मुरली सुनकर उनके प्रेम में नाचती हुई उनके पास पहुंच जाती है और तो उनके माता पिता ने राधा को घर में ही कैद कर दिया था।
भगवान श्रीकृष्ण ने एक मुरली राधा को दे दी थी जब वे मथुरा जा रहे थे। राधा ने इस मुरली को बहुत ही संभालकर रखा था और जब भी उन्हें श्रीकृष्ण की याद आती तो वह यह मुरली बजा लेती थी।
राधा रानी की 8 सखियां थीं, जिन्हे अष्ट सखियाँ कहा जाता था। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार सखियों के नाम इस तरह हैं- चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, राधा, ललिता, विशाखा तथा भद्रा। कुछ जगह चित्रा, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चम्पकलता, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और सुदेवी नाम मिलते हैं । कुछ जगह पर ललिता, विशाखा, चम्पकलता, चित्रादेवी, तुंगविद्या, इन्दुलेखा, रंगदेवी और कृत्रिमा (मनेली)। सभी सखियां श्रीकृष्ण और श्रीराधा की सेवा में लगी रहती थीं।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के प्रकृति खंड अध्याय 49 श्लोक 35, 36, 37, 40, 47 के अनुसार राधा का विवाह कृष्ण की माता यशोदा के भाई रायाण के साथ हुआ था।