धर्म संवाद / डेस्क : मार्गशीर्ष पूर्णिमा (4 दिसंबर 2025) को सत्य नारायण भगवान का व्रत और पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। हिंदू धर्म में यह व्रत भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप को समर्पित है। मान्यता है कि इस व्रत को सच्चे मन से करने पर जीवन में सुख-समृद्धि, संतोष और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस दिन सत्य नारायण कथा सुनना अत्यंत शुभ माना जाता है।
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सत्य नारायण व्रत का महत्व
इस व्रत में सत्य की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस व्रत को पूरे नियम, श्रद्धा और भक्ति के साथ करता है, उसके जीवन से दुख दूर होते हैं और धन-धान्य की वृद्धि होती है। विशेष रूप से वैवाहिक जीवन, संतान प्राप्ति, व्यापार-वृद्धि और स्वास्थ्य में इस व्रत का बड़ा प्रभाव माना गया है।
पूजा का शुभ मुहूर्त
- तिथि: 4 दिसंबर 2025
- दिन: बुधवार
- व्रत समय: पूरे दिन
- कथा वाचन: संध्या के समय सबसे शुभ
सत्य नारायण पूजा सामग्री
पूजा के लिए आवश्यक सामग्री निम्न है:
- भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति
- कलश, जल, रोली, अक्षत
- पंचामृत, तुलसी दल
- घी का दीपक, अगरबत्ती
- पान, सुपारी, नारियल
- पंचमेवा, खीर या शीर (प्रसाद हेतु)
- फूल-माला
- केले और मौसमी फल
- लाल/पीला वस्त्र
- कलावा, मिठाई
- गेहूँ/चावल से तैयार चौकियां
सत्य नारायण पूजा विधि
- सबसे पहले घर की साफ-सफाई कर एक पवित्र स्थान पर पूजा का संकल्प लें।
- भगवान सत्य नारायण का चित्र स्थापित करें।
- कलश स्थापित कर गणेश वंदना करें।
- दीपक जलाएँ और जल, चावल, रोली, फूल अर्पित करें।
- पंचामृत से भगवान का अभिषेक करें।
- इसके बाद सत्य नारायण की पाँचों अध्यायों वाली कथा का वाचन करें।
- भोग/प्रसाद के लिए खीर, पंचमेवा, फल आदि अर्पित करें।
- अंत में आरती करें और सभी परिवारों के कल्याण की प्रार्थना करें।
सत्य नारायण भगवान की पांच अध्यायों की कथा (संक्षेप में)
पहला अध्याय
नारद जी लोक कल्याण के लिए भगवान विष्णु से सत्य की महिमा पूछते हैं। भगवान बताते हैं कि सत्य के मार्ग पर चलने वाले मनुष्य को कभी कष्ट नहीं होता और सत्य नारायण व्रत करने से सभी दुख दूर होते हैं।
दूसरा अध्याय
एक गरीब ब्राह्मण को भगवान स्वयं मार्गदर्शन देते हैं। ब्राह्मण व्रत करता है और देखते-ही-देखते उसके जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ जाती है।
तीसरा अध्याय
एक व्यापारी व्रत करता है और उसके व्यापार में बड़ी वृद्धि होती है। व्यापारी की परीक्षा भी ली जाती है, पर सच्चाई से वह सफल होता है।
चौथा अध्याय
राजा तुंगध्वज व्रत की अवहेलना कर देता है, जिसके कारण उसे कष्ट का सामना करना पड़ता है। बाद में व्रत करने पर उसके सभी संकट दूर हो जाते हैं।
पाँचवाँ अध्याय
भगवान बताते हैं कि जो जन समर्पण और सत्य से यह व्रत करता है, उसे लोक और परलोक में सुख-समृद्धि मिलती है।
सत्य नारायण व्रत करने के लाभ
- व्यापार में वृद्धि
- परिवार में शांति व सौहार्द
- मनोकामनाओं की पूर्ति
- विवाह संबंधी बाधाओं से मुक्ति
- संतान सुख की प्राप्ति
- स्वास्थ्य में सुधार
- धन-धान्य और समृद्धि का आगमन
