धर्म संवाद / डेस्क : श्री महाकाल—जिन्हें कालों के भी काल कहा गया है, वे शिव के रुद्र रूप हैं। उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में प्रतिदिन होने वाली उनकी आरती विशेष महत्व रखती है। यह आरती न केवल धार्मिक अनुभव है, बल्कि आत्मा को ईश्वर से जोड़ने वाली एक दिव्य प्रक्रिया भी है।
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श्री महाकाल की आरती का महत्व
महाकाल की आरती का महत्व सनातन धर्म में अतुलनीय है। कहा जाता है कि जो श्रद्धा और भक्ति से उनकी आरती करता है, उसके जीवन के सारे संकट मिट जाते हैं। उज्जैन के महाकाल मंदिर में भोर में होने वाली भस्म आरती तो अद्वितीय है, जो विश्व में और कहीं नहीं होती।
आरती का महत्व:
- आत्मा को शुद्ध करती है
- मानसिक शांति प्रदान करती है
- रोग, भय और कष्टों का नाश करती है
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है
आरती
काल की विकराल की, त्रिलोकेश्वर त्रिकाल की,
भोले शिव कृपाल की, करो रे मंगल आरती,
मृत्युंजय महाकाल की, करो रे मंगल आरती,
मृत्युंजय महाकाल की, बाबा महाकाल की,
ओ मेरे महाकाल की,
करो रे मंगल आरती, मृत्युंजय महाकाल की।।
पित पुष्प बाघम्बर धारी, नंदी तेरी सवारी,
त्रिपुंडधारी हे त्रिपुरारी, भोले भव भयहारी,
शम्भू दिन दयाल की, तीन लोक दिगपाल की,
कैलाषी शशिभाल की,
करो रे मंगल आरती, मृत्युंजय महाकाल की।।
डमरू बाजे डम डम डम, नाचे शंकर भोला,
बम भोले शिव बमबम बमबम, चढ़ा भंग का गोला,
जय जय ह्रदय विशाल की, आशुतोष प्रतिपाल की,
नैना धक धक ज्वाल की,
करो रे मंगल आरती, मृत्युंजय महाकाल की।।
आरत हरी पालनहारी, तू है मंगलकारी,
मंगल आरती करे नर नारी, पाएं पदारथ चारि,
काल रूप महाकाल की,कृपा सिंधु महाकाल की,
उज्जैन महाकाल की,
करो रे मंगल आरती, मृत्युंजय महाकाल की।।
काल की विकराल की, त्रिलोकेश्वर त्रिकाल की,
भोले शिव कृपाल की, करो रे मंगल आरती,
मृत्युंजय महाकाल की, करो रे मंगल आरती,
मृत्युंजय महाकाल की, बाबा महाकाल की,
ओ मेरे महाकाल की,
करो रे मंगल आरती, मृत्युंजय महाकाल की।।
