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सबरीमाला मंदिर खुला: वार्षिक तीर्थ सीजन की हुई शुरुआत

By Tami

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Sabarimala Temple

धर्म संवाद / डेस्क : दुनिया के दूसरे सबसे बड़े तीर्थस्थलों में शामिल केरल स्थित सबरीमाला मंदिर रविवार को दो महीने चलने वाले अपने वार्षिक तीर्थ सीजन के लिए श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। समारोह की शुरुआत मंदिर के तंत्री द्वारा नए मेलसांति के लिए श्रीकोविल (गर्भगृह) के सामने कलशाभिषेक से हुई। परंपरा के अनुसार तंत्री ने नए मेलसांति के कान में मूल मंत्र का उच्चारण किया, जो पर्व की शुरुआत का महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है। इस विशेष दिन श्रीकोविल में कोई अतिरिक्त पूजा या कर्मकांड नहीं किया गया।

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भक्तों की भारी भीड़, वर्चुअल और स्पॉट पास जारी

तीर्थ सीजन के प्रथम दिन भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए

  • 39,000 वर्चुअल क्यू पास
  • 20,000 स्पॉट पास
    जारी किए गए थे।
    वलियानाडपंडाल तक भक्तों की भीड़ पूरी तरह भर चुकी थी और लाइनें सरमकुथी तक पहुंच गईं।

सोमवार से प्रतिदिन 90,000 श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी जाएगी, जिसमें

  • 70,000 ऑनलाइन पास
  • 20,000 स्पॉट पास
    शामिल होंगे।

भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर प्रतिदिन 18 घंटे खुला रहेगा:

  • सुबह: 3 बजे से दोपहर 1 बजे तक
  • शाम: 3 बजे से रात 11 बजे तक

सबरीमाला मंदिर का इतिहास और पौराणिक महत्व

सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा होती है, जिन्हें भगवान शिव और भगवान विष्णु (मोहिनी रूप) के पुत्र माना जाता है।
पौराणिक मान्यता है कि विष्णु के मोहिनी अवतार से जन्मे बालक “साश्वत” ही आगे चलकर अयप्पा स्वामी के नाम से प्रसिद्ध हुए।

दक्षिण भारत में अयप्पा स्वामी के प्रति अपार आस्था है, और सबरीमाला को दक्षिण का सबसे प्रमुख तीर्थ माना जाता है। यहां हर साल करोड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, ठीक वैसे ही जैसे दुनिया भर में लोग मक्का-मदीना की यात्रा करते हैं।

मकरी विलक्कु: सबरीमाला की दिव्य ज्योति

हर वर्ष मकर संक्रांति की रात मंदिर के समीप आसमान में एक रहस्यमयी पवित्र ज्योति दिखाई देती है, जिसे मकरी विलक्कु कहा जाता है। इस दिव्य दर्शन के लिए दुनिया भर से भक्त यहां पहुंचते हैं।

18 पवित्र सीढ़ियों का रहस्य

सबरीमाला का नाम 18 पर्वत श्रेणियों से घिरे होने के कारण पड़ा। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 18 पवित्र सीढ़ियां चढ़नी होती हैं, जिनका विशेष आध्यात्मिक महत्व है:

  • पहली 5 सीढ़ियां – पांच इन्द्रियों का प्रतीक
  • अगली 8 सीढ़ियां – मानवीय भावनाएं
  • अगली 3 सीढ़ियां – मानव के गुण
  • अंतिम 2 सीढ़ियां – ज्ञान और अज्ञान का संकेत

इतनी सीढ़ियां चढ़ने के बाद भक्त भगवान अयप्पा के दर्शन कर पाते हैं।

इरुमुडि और व्रत का महत्व

सबरीमाला जाने वाले भक्त रुद्राक्ष या तुलसी माला पहनते हैं और निश्चित व्रत का पालन करते हैं। सिर पर रखी जाने वाली पोटली, जिसे इरुमुडि कहा जाता है, भक्तों की श्रद्धा और भेंट का प्रतीक होती है। मंदिर में प्रवेश केवल इरुमुडि धारण करने पर ही संभव है। मान्यता है कि नियमपूर्वक व्रत रखकर और इरुमुडि के साथ सबरीमाला पहुंचने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

सबरीमाला कैसे पहुंचें?

सड़क मार्ग

सबसे पहले तिरुवनंतपुरम पहुंचकर वहां से बस या निजी वाहन से पंपा बेस कैंप पहुंचा जाता है। यहीं से जंगलों के मार्ग से लगभग 5 किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू होती है जो भक्तों को 1535 फीट ऊंचाई पर स्थित मंदिर तक पहुंचाती है।

रेल मार्ग

सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन:

कोट्टायम

चेंगन्नूर
इन स्टेशनों से पंपा के लिए नियमित बसें उपलब्ध हैं।

हवाई मार्ग

सबरीमाला के सबसे नजदीक हवाई अड्डा है:

तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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