महाशिवरात्रि (Mahashivratri ) में भक्त अपनी मनोकामनाए पूर्ण करने के लिए महादेव की पूजा करते है. पूजा करने के दौरान भक्तो को पूजा की सामग्री की जरूरत होती है उसमे बेलपत्र, गंगाजल,नारियल और भी बहुत सारी सामग्री जिसे पूजा में शामिल करने से पूजा पूर्ण होती है. हम अपने आर्टिकल के माध्यम से आपको Mahashivratri की पूजा में उपयोग करने वाली सामग्री के बारे में बताएँगे.
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महाशिवरात्रि कब है | Mahashivratri Kab hai
फाल्गुन मास की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है. इस बार महाशिवरात्रि 8 मार्च, शुक्रवार को मनाई जाएगी.महाशिवरात्रि के दिन अपने मनोकामनाए पूरी करने के लिए शिव भगवान की पूजा करते है.
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महाशिवरात्रि पूजा सामग्री सूचि (Mahashivratri Puja Samagri List PDF )
- 5 या 11 मिट्टी के दीपक
- पानी वाला नारियल
- 1 रक्षासूत्र, पीली सरसों
- अखंडित अक्षत
- कुश का आसन
- पंचमेवा
- फल, मिठाई, गन्ने का रस
- इलायची, तिल, जौ
- चंदन,रुद्राक्ष
- कुमकुम
- भस्म
- केसर
- सिंदूर
- धूप, बत्ती, घी,
- शक्कर, दूध, दही
- गंगाजल
- मधु, गुड़, कपूर
- पान के पत्ते
- सुपारी, लौंग, वस्त्र
- 16 श्रृंगार या सुहाग की सामग्री
- बेलपत्र, फूल, भांग
- धतूरा
- आम का पत्ता
- शमी के पत्ते
- माचिस
- आरती और चालीसा की पुस्तक
FAQ | अकसर पूछे जाने वाले सवाल
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस रात भगवान शिव ने देवी पार्वती से विवाह किया था। यह उनके दिव्य मिलन के उत्सव में है कि उस दिन को ‘भगवान शिव की रात’ के रूप में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि का इतिहास क्या है?
हिंदू पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि कई कारणों से महत्व रखती है। एक मान्यता यह है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था, और यह त्योहार उनके दिव्य मिलन का जश्न मनाने के लिए हर साल मनाया जाता है।साथ ही यह शिव और शक्ति के मिलन का भी प्रतीक है।
महाशिवरात्रि कितने बजे से कितने बजे तक है?
इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से शिवभक्तों पर भोलेनाथ की कृपा बरसती है. जीवन खुशियों से भर जाता है. हमारे पंचांग के अनुसार इस साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 8 मार्च को रात में 9:57 बजे से शुरू होगी.इसका समापन अगले दिन यानी 9 मार्च को शाम 6:17 बजे होगा.
घर पर शिवरात्रि कैसे मनाएं?
शिवरात्रि के दौरान, भक्त सख्त उपवास रखते हैं, जहां वे अनाज, मांसाहारी भोजन और यहां तक कि पानी का सेवन करने से भी परहेज करते हैं। कुछ लोग पूर्ण उपवास का विकल्प चुनते हैं, जबकि अन्य लोग दिन में एक बार भोजन करते हैं। इस शुभ दिन के दौरान आमतौर पर फल, दूध और साबूदाना से बने व्यंजन का सेवन किया जाता है।
महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या अंतर है?
23 hours agoमहाशिवरात्रि और शिवरात्रि में क्या अंतर है? हिंदू कैलेंडर के अनुसार, महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाते हैं, वहीं मासिक शिवरात्रि का पर्व हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होता है.
महाशिवरात्रि की रात को क्या हुआ था?
यह पर्व शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है । उनके निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है। शिवपुराण में वर्णित है कि शिवजी के निराकार स्वरूप का प्रतीक ‘लिंग’ इसी पावन तिथि की महानिशा में प्रकट होकर सर्वप्रथम ब्रह्मा और विष्णु के द्वारा पूजित हुआ था।
महाशिवरात्रि पर क्यों नहीं सोना चाहिए?
जो लोग प्रकृति की भौतिकता से परे वास्तविकताओं को देखना चाहते हैं उन्हें महा शिवरात्रि की रात को नहीं सोना चाहिए। इसके अलावा, इन वास्तविकताओं को देखने के लिए व्यक्ति को तीसरी आंख जागृत करने की आवश्यकता है। महा शिवरात्रि वह दिन है जो तीसरी आँख खोलने की सुविधा प्रदान करता है।