धर्म संवाद / डेस्क : अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बच्चे कड़ी महनत करने के बावजूद अच्छे अंक नहीं ला पाते। इसका एक कारण उनके स्टडी रूम का वास्तु हो सकता है। अगर बच्चे गलत दिशा की तरफ मुहँ करके पढ़ते हैं तो उन्हे उनकी महनत का मनचाहा फल नहीं मिलता । वास्तु शास्त्र में कई ऐसी चीज़े बताई हुई हैं जिनका अगर सही से पालन किया जाए तो सारी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
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वास्तु के अनुसार पढ़ाई करने की सबसे अच्छी दिशा उत्तर-पूर्व के कमरे में उत्तर या पूर्व की ओर मुंह करके बैठना होता है। पढ़ाई करते समय आपके बच्चे का मुंह हमेशा पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए। इससे बच्चे को चीजें आसानी से समझ में आती हैं। साथ ही याद भी जल्दी होता है।
सही दिशा की ही तरह स्टडी टेबल के लिए उत्तर या पूर्व सबसे अच्छी दिशा मानी जाती है क्योंकि यह दिशा आपकी एकाग्रता को बढ़ा सकती है। इससे बच्चों का मन पढ़ाई में लगता है और उन पर ईश्वर की विशेष कृपा रहती है। स्टडी रूम में हल्का पीला, हल्का गुलाबी या हल्का हरा रंग करवाना बेहतर होता है । पीला रंग विद्या का रंग होता है और हरा रंग बुद्धि के देवता का रंग है। इन रंगों का चुनाव करने से बच्चों का विवेक मजबूत होता है और स्मरण शक्ति अच्छी होती है।
स्टडी टेबल के के सामने की दीवार खाली नहीं होनी चाहिए। वहाँ पॉजिटिव थॉट्स, सफल लोगों की तस्वीरें, उगते हुए सूरज की तस्वीर, दौड़ते हुए घोड़ों की तस्वीर, पेड़-पौधों या चहचहाते पक्षियों की तस्वीर लगानी चाहिए। कमरे की पूर्व और उत्तर की दीवारों में अलमारियां नहीं होनी चाहिए। स्टडी टेबल पर पिरामिड, मीनार, या उड़ने वाले पक्षी फीनिक्स का चित्र रखना चाहिए। ऐसा करने से बच्चों की सोचने की क्षमता में विस्तार होता है।