धर्म संवाद / डेस्क : बसंत पंचमी के मौके पर पुरे देश भर में सरस्वती पूजा तो मनाते है ही साथ ही अलग अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह की मान्यताएं भी इस दिन के साथ जुड़ी हैं.देवघर में इस दिन बाबा बैद्यनाथ को तिलक चढ़ाया जाता है. वहीं,ब्रज में 40 दिन होली का उल्लास छाएगा. बसंत पंचमी यानि 14 फरवरी को बांकेबिहारी मंदिर एवं राधावल्लभ मंदिर सहित अन्य मंदिरों में ठाकुरजी भक्तों के साथ होली खेलेंगे. ब्रज की होली का इंतजार लोग कई महीने पहले से करने लगते हैं. ब्रज की होली देखने और उसमें हिस्सा लेने के लिए देश -दुनिया से लोग आते हैं.
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ब्रज की यह होली 40 दिनों तक चलती है और इसकी शुरुआत बसंत पंचमी से होती है. हर साल बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी पर रंग-बिरंगी अबीर-गुलाल उड़ाकर ब्रज के 40 दिवसीय होली महोत्सव की शुरुआत होती है. इस साल भी 14 फरवरी को इसकी शुरुआत हो जाती है.
बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में ठाकुर जी का बासंती यानी पीले रंग से श्रृंगार किया जाएगा. उन्हें पीले रंग के वस्त्र पहनाए जाएंगे. रंग-बिरंगे फूल और कीमती गहनों से सजाया जाएगा. इसके बाद बांके बिहारी को गुलाल अर्पित किया जाएगा. उन्हें पंच मेवा युक्त केसरिया मोहनभोग का विशेष भोग लगाया जाएगा. साथ ही बसंत ऋतु के अनुरूप अन्य फल, पकवानों का भोग भी लगाया जाएगा. सरसों के फूलों के गुथे हुए गुंजे (माला) धारण कराए जाएंगे. ठाकुरजी को विभिन्न प्रकार के दिव्यतम ऋतु आधारित पदार्थ सेवार्थ निवेदित किए जाएंगे तथा बसंत आगमन के पद भी सुनाए जाएंगे.