धर्म संवाद / डेस्क : भारतीय संस्कृति अतिथि देवो भवः पे विश्वास करता है यानि कि घर पर आया हुआ अतिथि ईश्वर समान है। घर आए मेहमान का आदर सत्कार करना हमारा धर्म है। यही कारण है कि घर बनवाते समय मेहमानों के लिए एक गेस्ट रूम बनाया जाता है। हमारा वास्तु शास्त्र हमे इस बात की भी जानकारी देता है कि गेस्ट रूम किस दिशा में बनवाना सबसे शुभ होता है।
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वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर में अतिथि कक्ष / गेस्ट रूम वाव्यव कोण या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए। वायव्य कोण के ग्रह, दिशा तथा देवता तीनों की प्रकृति चलायमान है। वायव्य कोण का स्वामी चंद्रमा है । इसके साथ ही वायव्य कोण वायु का स्थान भी है। इस दिशा में अतिथि को ठहराने से अतिथि स्वयं को सम्मानित महसूस करता है। इस दिशा में गेस्ट रूम बनाने से घर में मतभेद नहीं होता तथा यह दिशा लाभदायक भी होती है। यदि आपका मकान दक्षिणमुखी है तो गेस्ट रूम दक्षिण-पूर्व दिशा अर्थात आग्नेय कोण में बनवाए। खिड़कियां पूर्व या उत्तर दिशा में होना लाभकारी होता है।
गेस्ट रूम की दीवारों का रंग हल्का, शांत व सौम्य होना चाहिए। कमरे की छत में सफेद रंग ही कराएं. गेस्ट रूम का दरवाजा पूर्व दिशा में तथा दूसरा दरवाजा दक्षिण दिशा में होना चाहिए। आपको बता दे गेस्ट रूम को कभी भी दक्षिण पश्चिम दिशा में नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि यह दिशा घर के स्वामी के लिए होती है। इस दिशा में गेस्ट रूम बनाने से परिवार में झगड़े हो सकते है।