धर्म संवाद / डेस्क : हनुमान जी, जो भक्ति, शक्ति और सेवा के प्रतीक हैं, हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनीय हैं। उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए भजन, आरती और चालीसा का पाठ किया जाता है। “आ लौट के आजा हनुमान, तुम्हें श्री राम बुलाते हैं” एक ऐसा ही भजन है जो भक्तों के हृदय में प्रभु श्रीराम और हनुमान जी की भक्ति को जागृत करता है।
आ लौट के आजा हनुमान,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ।
जानकी के बसे तुममे प्राण,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ॥
लंका जला के,
सब को हरा के,
तुम्ही खबर सिया की लाये ।
पर्वत उठा के, संजीवन ला के,
तुमने लखन जी बचाए ।
हे बजरंगी बलवान,
तुम्हे हम याद दिलाते हैं ॥
आ लौट के आजा हनुमान,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ।
जानकी के बसे तुममे प्राण,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ॥
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पहले था रावण एक ही धरा पे,
जिसको प्रभु ने संघारा ।
तुमने सवारे थे काज सारे,
प्रभु को दिया था सहारा ।
जग में हे वीर सुजान,
भी तेरे गुण गाते हैं॥
आ लौट के आजा हनुमान,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ।
जानकी के बसे तुममे प्राण,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ॥
है धरम संकट में धर्म फिर से,
अब खेल कलयुग ने खेले ।
हैं लाखों रावण अब तो यहाँ पे,
कब तक लड़े प्रभु अकेले ।
जरा देख लगा के ध्यान,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ॥
आ लौट के आजा हनुमान,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ।
जानकी के बसे तुममे प्राण,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ॥
है राम जी बिन तेरे अधूरे,
अनजानी माँ के प्यारे ।
भक्तो के सपने करने को पूरे,
आजा पवन के दुलारे ।
करने जग का कल्याण,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ॥
आ लौट के आजा हनुमान,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ।
जानकी के बसे तुममे प्राण,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ॥
आ लौट के आजा हनुमान,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ।
जानकी के बसे तुममे प्राण,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं ॥
बीती सारी रेन के अब तो,
क्षण भर भी ना बाकी,
देखत देखत राह तुम्हारी,
बैरन अँखियाँ थाकि,
सूर्योदय लेगा जान,
तुझे तेरे राम बुलाते है,
आ लौट के आजा हनूमान,
तुझे तेरे राम बुलाते है।।
पहली किरण उगने ना पाई,
ले आए संजीवन,
मूर्छा दूर करी लक्ष्मण की,
तन कर दीन्हा कंचन,
बजरंग तू ही बलवान,
तुझे तेरे राम बुलाते है,
आ लौट के आजा हनूमान,
तुझे तेरे राम बुलाते है।।
आ लौट के आजा हनुमान,
तुझे तेरे राम बुलाते है,
लक्ष्मण के बचा ले प्राण,
लक्ष्मण के बचा ले प्राण,
तुझे तेरे राम बुलाते है,
आ लौट के आजा हनूमान,
तुझे तेरे राम बुलाते है।।
आ लौट के आजा हनुमान,
तुम्हे श्री राम बुलाते है,
जानकी के बसे तुममे प्राण,
जानकी के बसे तुममे प्राण,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं।।
लंका जला के सब को हरा के,
तुम्ही खबर सिया की लाये,
पर्वत उठा के संजीवन ला के,
तुमने लखन जी बचाए,
हे बजरंगी बलवान,
तुम्हे हम याद दिलाते हैं।।
पहले था रावण एक ही धरा पे,
जिसको प्रभु ने संघारा,
तुमने सवारे थे काज सारे,
प्रभु को दिया था सहारा,
जग में हे वीर सुजान,
सभी तेरे गुण गाते हैं।।
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है धरम संकट में धर्म फिर से,
अब खेल कलयुग ने खेले,
हैं लाखों रावण अब तो यहाँ पे,
कब तक लड़े प्रभु अकेले,
जरा देख लगा के ध्यान,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं।।
है राम जी बिन तेरे अधूरे,
अंजनी माँ के प्यारे,
भक्तो के सपने करने को पूरे,
आजा पवन के दुलारे,
करने जग का कल्याण,
तुम्हे श्री राम बुलाते हैं।।