धर्म संवाद / डेस्क : भारतीय संस्कृति में “प्रथम पूज्य” का गौरव जिस देवता को प्राप्त है, वे हैं श्री गणेश जी। उन्हें विघ्नहर्ता, सिद्धिदाता और बुद्धि के दाता के रूप में पूजा जाता है। किसी भी शुभ कार्य, पर्व या अनुष्ठान की शुरुआत श्री गणेश की आराधना के बिना अधूरी मानी जाती है। उनके नाम का स्मरण करते ही विघ्न दूर होते हैं और सफलता के द्वार खुलते हैं। यह भजन उन्ही को समर्पित है।
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होती है जिनकी प्रथम पूजा
वो भगवान न्यारे हैं
माता गौरा के प्यारे
महादेव के दुलारे हैं
वो भगवान न्यारे हैं
होती है जिनकी प्रथम पूजा
लाचार मजबूर दुखियारे
जो भी दर्द के मारे हैं
आते वो सब गणपति जी
आप ही के द्वारे हैं
होती है जिनकी प्रथम पूजा
निर्धन को देते माया
देते कोढ़ियों को काया
भाग्य अभागों के
गजानन ने ही संवारे हैं
होती है जिनकी प्रथम पूजा
विघ्नहर्ता विघ्न हैं हरते
मन की इच्छा पूरी करते
दीनबंधु हैं वे दुख हरता
दुखियों के सहारे हैं
होती है जिनकी प्रथम पूजा
सदा होता उनका जिक्र जहाँ
नहीं होती कोई फिक्र वहाँ
जो छोड़े नैया उनके भरोसे
उन्हें सदा मिलते किनारे हैं
होती है जिनकी प्रथम पूजा
कण कण में हैं देवा
हैं राजीव के मन में भी देवा
जिस ओर भी जाए नज़र
उस ओर उनके ही नज़ारे हैं
माता गौरा के प्यारे
महादेव के दुलारे हैं
होती है जिनकी प्रथम पूजा
वो भगवान न्यारे हैं