धर्म संवाद / डेस्क : नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि के चार हाथों में खड्ग, लौह शस्त्र, वरमुद्रा और अभय मुद्रा है। मां कालरात्रि का वाहन गधा है, जो सभी जीव-जंतुओं में सबसे ज्यादा मेहनती माना जाता है। माता कालरात्रि की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। साथ ही समस्त दुखों एवं पापों का नाश हो जाता है। माता की पूजा करने के बाद यह आरती करे।
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कालरात्रि जय-जय-महाकाली ।
काल के मुह से बचाने वाली ॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा ।
महाचंडी तेरा अवतार ॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा ।
महाकाली है तेरा पसारा ॥
खडग खप्पर रखने वाली ।
दुष्टों का लहू चखने वाली ॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा ।
सब जगह देखूं तेरा नजारा ॥
सभी देवता सब नर-नारी ।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी ॥
रक्तदंता और अन्नपूर्णा ।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना ॥
ना कोई चिंता रहे बीमारी ।
ना कोई गम ना संकट भारी ॥
उस पर कभी कष्ट ना आवें ।
महाकाली माँ जिसे बचाबे ॥
तू भी भक्त प्रेम से कह ।
कालरात्रि माँ तेरी जय ॥