प्रजापति दक्ष ने चंद्रमा को क्यों दिया था श्राप

By Tami

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प्रजापति दक्ष ने चंद्रमा को क्यों दिया श्राप

धर्म संवाद / डेस्क : चंद्रमा बहुत ही महत्वपूर्ण है। चाहे वो धार्मिक दृष्टिकोण से हो, खगोलीय दृष्टिकोण से हो , वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हो या ज्योतिषीय दृष्टिकोण से हो। ज्योतिष शास्त्र में इसे ग्रह और देव दोनों माना गया है। यही कारण है कि कुंडली में भी चंद्रमा विराजमान होते हैं साथ ही चंद्रमा की पूजा भी की जाती है। पर क्या आपको पता है चंद्र देवता को भी श्राप मिला हुआ है। जी हाँ, यह श्राप चंद्रमा के पूर्णिमा से अमावस्या में प्रवेश करने से भी जुड़ा है।

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पुराणों के मुताबिक, चंद्र देव का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं से हुआ था। उन्हे ही 27 नक्षत्र कहा जाता है। विवाह के वक्त ,  राजा दक्ष ने यह शर्त रखी थी कि, चंद्रमा अपनी सभी 27 पत्नियों के साथ समान व्यवहार करेंगे। परंतु, चंद्रमा रोहिणी से सबसे ज्यादा प्रेम करते थे और अपनी बाकी पत्नियों को समय नहीं देते थे। इस वजह से उनकी बाकी पत्नियां खुद को अपेक्षित महसूस करने लगीं।  अंत मे उन्होंने अपने पीट दक्ष प्रजापति से इसकी शिकायत की और इसका समाधान निकालने की प्रार्थना की। तब दक्ष ने चंद्र को समझाया और कहा कि वे अपने सारी पत्नियों को समय दे। चंद्र देव ने राजा दक्ष की बातों को ध्यान से सुना और आगे से ध्यान देने का आश्वासन भी दिया। 

इन सब के बावजूद भी चंद्र देव रोहिणी के प्रति अपने अगाध प्रेम को नहीं त्याग पाए। इस बात से दुखी होकर बाकी कन्याओं ने फिर अपने पिता राजा दक्ष से शिकायत की। वे क्रोध से आग बबूला हो गए। कहते हैं कि इसी क्रम में क्रोध में आकर चंद्रमा को श्राप दिया, “हे चंद्रमा! तुम्हें जिस जिस सुंदरता और तेज पर इतना अहंकार है, वह आगे नहीं रहेगा।” इसके साथ ही राजा दक्ष ने चंद्रमा को क्षय रोग से पीड़ित होने का श्राप दे दिया। जिससे वह क्षय रोग से ग्रसित हो गए। यहीं नहीं चंद्रमा की सभी कलाएं भी समाप्त हो गईं।

उसके बाद चंद्र देव ने शिव जी की उपासना की जिसके बाद महादेव ने चंद्रमा को अपनी जटाओं में धारण किया । उसके बाद चंद्र कृष्ण पक्ष में क्षीण यानी खत्म होता है और शुक्ल पक्ष में चंद्र बढ़ने लगता है। 

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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