धर्म संवाद / डेस्क : मकर संक्रांति एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो सूर्य देव के मकर राशि में प्रवेश करने के दौरान मनाया जाता है। मकर संक्रांति का दिन सूर्य की उपासना, तिल, गुड़ और पतंगबाजी के लिए प्रसिद्ध होता है। लोग इस दिन तिल के लड्डू और गुड़ खाते हैं, जो शीतकाल में शरीर को ऊर्जा और गर्मी प्रदान करते हैं। साथ ही, यह दिन नदियों में स्नान करने और दान देने का भी महत्व रखता है। इस दिन से खरमास खत्म हो जाता है। जिससे शुभ व मांगलिक कार्यों की फिर से शुरुआत हो जाती है।
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इस साल मकर संक्रांति मंगलवार 14 जनवरी को है। इस दिन सूर्य देव सुबह 9 बजकर 3 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। पुण्य काल (शुभ अवधि) 14 जनवरी को सुबह 9:03 बजे से शाम 5:46 बजे तक 8 घंटे और 43 मिनट तक रहेगा। यह समय पारंपरिक अनुष्ठानों, प्रार्थनाओं और सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए एकदम सही समय है।
मकर संक्रांति के दिन दान व संक्रांति के दिन स्नान के बाद सूर्य मंत्र ”ॐ घृणि सूर्याय नमः, ॐ भास्कराय नमः” का जाप करें। इस मंत्र का जाप करने से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, आदित्य हृदय स्तोत्र व सूर्य चालीसा के पाठ का भी लाभ मिलता है। इस दिन ऊनी वस्त्र, कंबल, धार्मिक पुस्तकें, खासकर पंचांग का दान करना फलदायक माना गया है। इस बीच, महापुण्य काल (विशेष शुभ अवधि), आशीर्वाद का एक केंद्रित घंटा 14 जनवरी को सुबह 9:03 बजे से 10:48 बजे तक रहेगा।
इस दिन को विभिन्न राज्यों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है, जैसे:
- पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है।
- महाराष्ट्र, कर्नाटका, और गोवा में इसे उत्तरायण के नाम से जाना जाता है।
- उत्तर भारत में इसे माघ संक्रांति कहते हैं।
- दक्षिण भारत में यह पोंगल के रूप में मनाया जाता है।