हिन्दू धर्म में मुंडन का क्या महत्व है

By Tami

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मुंडन

धर्म संवाद / डेस्क : हिन्दू धर्म शास्त्रों में 16 संस्कारों का बहुत महत्व है। संस्कार मनुष्य के लिए एक आवश्यक नियम माना गया है और इसलिए इस नियम का पालन करना अनिवार्य माना जाता है। वे 16 संस्कार इस प्रकार हैं:- गर्भाधान संस्कार,  पुंसवन संस्कार , सीमन्तोन्नयन संस्कार,  जातकर्म संस्कार, नामकरण संस्कार, निष्क्रमण संस्कार, अन्नप्राशन संस्कार, मुंडन/चूडाकर्म संस्कार, विद्यारंभ संस्कार, कर्णवेध संस्कार,  यज्ञोपवीत संस्कार, वेदारम्भ संस्का,  केशान्त संस्कार, समावर्तन संस्कार,  विवाह संस्कार, अन्त्येष्टि संस्कार/श्राद्ध संस्कार। इनमे मुंडन संस्कार का अपना अलग महत्व है।

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 हिन्दू धर्म में मुंडन एक महत्वपूर्ण परंपरा है ।ऐसी मान्यता है कि बच्चे के मुंडन से बाद अपने पूर्व जन्मों के बंधनों से मुक्त हो जाता है। बालों को गर्व और अहंकार का चिन्ह माना जाता है। मुंडन करवाकर हम अपना अहंकार त्याग कर अपने आपको भगवान को समर्पित कर देते हैं। माना जाता है कि मुंडन कराने से बुरे विचार ख़त्म हो जाते हैं। इसके अलावा जब बच्चा गर्भ में होता है तो उसके सिर पर कुछ बाल होते हैं जिनमें बहुत से कीटाणु और बैक्टीरिया लगे होते हैं और उन बालों को कटवा देने से कीटाणु और बैक्टीरया सिर से हट जाते हैं। इसके साथ ही मुंडन करवाने के बाद सिर से धूप सीधा शरीर में जाती है जिससे विटामिन डी भी मिलती है। 

वहीं बच्चे का बल, रोग प्रतिरोधक क्षमता,और शारीरिक विकास बढ़ाने के लिए भी मुंडन संस्कार को महत्वपूर्ण माना गया है। साथ ही इसके बाद बाल तेजी से बढ़ते हैं। वैदिक काल में गुरुकुल जानें की होती थी तब दोबारा बच्चे का मुंडन करवाया जाता था और फिर जनेऊ संस्कार किया जाता था। मुंडन संस्कार के बाद बच्चा समाज का पवित्र हिस्सा बन जाता है। ये भी माना जाता है कि इससे बालक की आयुवृद्धि होती है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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