धर्म संवाद / डेस्क : फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है. होलिका दहन के बाद वाले दिन होली मनाई जाती है. होली के 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है जो होलिका दहन तक चलता है. इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए. पंचांग के अनुसार, होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होता है. प्राचीन काल से ही इस आठ दिन की अवधि को किसी भी नए या शुभ कार्य के लिए अशुभ माना जाता है.चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण.
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मान्यताओं के अनुसार, इन 8 दिनों के दौरान ऊर्जा के स्तर पर ब्रह्मांडीय स्थिति ऐसी होती है कि पहले जिन लोगों ने इस दौरान कोई भी महत्वपूर्ण कार्य किए थे, उन्हें बाद में समस्याओं का सामना करना पड़ा था. यही कारण है कि, हजारों वर्षों से होलाष्टक के कारण लोग इस दौरान नए और महत्वपूर्ण काम शुरू करने से दूरी बनाए रखते हैं. कहते हैं कि इस समय के दौरान यदि तप किया जाये तो बहुत शुभ होता है. होलाष्टक पर पेड़ की एक शाखा काटकर उसे जमीन में लगाने का रिवाज़ हैं. उसके बाद इस शाखा पर रंग-बिरंगे कपड़े बांधे जाते हैं.आपको बता दें कि इसी शाखा को प्रह्लाद का रूप माना जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार होलाष्टक के प्रथम दिन को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु का उग्र रूप रहता है. इस वजह से इन आठों दिन मानव मस्तिष्क तमाम विकारों, शंकाओं और दुविधाओं आदि से घिरा रहता है, जिसकी वजह से शुरु किए गए कार्य के बनने के बजाय बिगड़ने की संभावना ज्यादा रहती है.
कहा ये भी जाता है कि होलिका द्वारा भक्त प्रह्लाद को जलाए जाने के पहले आठ दिन प्रह्लाद को मारने के लिए हिरण्यकश्यप ने उसे तमाम शारीरिक प्रताड़नाएं दीं, इसलिए इन आठ दिनों को हिंदू धर्म के अनुसार सर्वाधिक अशुभ माना जाता है. इसीलिए इन आठ दिनों तक कोई भी शुभकार्य नहीं किए जाते हैं.
साल 2024 में होलाष्टक 17 मार्च, रविवार से शुरू हो रहे हैं जो कि 24 मार्च तक रहेंगे. इसके बाद ही 24 मार्च को होलिका दहन होगा.रंगवाली होली 25 मार्च 2024 सोमवार को है.