धर्म संवाद / डेस्क : “अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता”। यह चौपाई रामचरितमानस के सुंदरकांड से ली गई है, जिसका अर्थ है हनुमान जी) अष्ट सिद्धियों और नव निधियों के दाता हैं, और यह वरदान स्वयं माँ जानकी (सीता माता) ने उन्हे दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं ये अष्ट सिद्धि और नव निधियां आखिर हैं क्या। अगर नहीं तो इस विडिओ को पूरा देखे आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी। ।
हनुमान जी की आठ सिद्धियों के बारें हनुमान चालीसा के अलावा मार्कंडेय पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी अष्ट सिद्धियों का वर्णन किया गया है। आठ सिद्धियों के माध्यम से वे किसी भी व्यक्ति का रूप धारण कर सकते थे। अत्यंत सूक्ष्म से लेकर अति विशालकाय देह धारण कर सकते थे। जहां चाहे वहां मन की शक्ति से पल भर में पहुंच सकते थे। और नौ निधियां दुनिया की वो सबसे कीमती वस्तुएं हैं- जिन्हें पा लेने के बाद किसी भी प्रकार के धन और संपत्ति की आवश्यकता नहीं रहती हैं।
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चलिए सबसे पहले जानते हैं आठ सिद्धियों के बारे में :
• अणिमा: अणिमा अर्थात अपने शरीर को अणु से भी छोटा करना. इस सिद्धि की बदौलत हनुमान जी सूक्ष्म रूप धारण कर कहीं भी विचरण कर सकते थे. अपने इसी छोटे रूप के बल पर हनुमान जी ने लंका का निरीक्षण किया था
• महिमा: महिमा, अणिमा के विपरीत है। इस सिद्धि के बल पर विशाल रूप धारण किया जा सकता है।हनुमान जी ने एक बार समुद्र पार करते वक्त सुरसा नामक राक्षसी के सामने और दुसरी बार अशोका वाटिका में माता सीता जी के सामने महिमा सिद्धि का उपयोग किया था।
• गरिमा: गरीमा सिद्धि से शरीर को असीमित रूप से भारी बनाया जा सकता है। भीम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमान जी ने इस सिद्धि का प्रयोग किया था, इस शक्ति से भीम हनुमान जी की पूंछ को टस से मस नहीं कर पाए थे।
• लघिमा: इस सिद्धि से हनुमानजी स्वयं का भार बिल्कुल हल्का कर लेते थे जैसे रूई का फाला हो। लघिमा और अणिमा का उपयोग कर हनुमान जी ने अशोक वाटिका में पत्तों पर बैठकर माता सीता को अपना परिचय दिया था।
• प्राप्ति: इस सिद्धि के दम पर वह हर चीज प्राप्त की जा सकती है जिसकी आपको इच्छा है। बेजुबान पक्षियों की भाषा समझना, आने वाले वक्त को देख लेने में ये सिद्धि सहायक है।
• प्राकाम्य: इस सिद्धि के बल से पृथ्वी से पाताल तक की गहराईयों को नापा जा सकता है।आसमान की ऊंचाईयों पर उड़ सकते हैं। मनचाहे वक्त तक पानी में जीवित रह सकते हैं। इसे प्राप्त करने वाले किसी भी देह को धारण कर सकते हैं। चिरकाल तक युवा रह सकते हैं।
• ईशित्व: इस सिद्धि की मदद से हनुमानजी को दैवीय शक्तियां मिली थी। इसे पाने वाला ईश्वर समान पूजनीय माना जाता है।
• वशित्व: अपने नाम स्वरूप इस सिद्धि से किसी को भी वश में किया जा सकता है। इससे पशु, पक्षी, मनुष्य आदि सभी को वश में कर अपने मन मुताबिक कार्य करवाए जा सकते हैं। इस सिद्धि के प्रभाव से हनुमानजी इंद्रियों और मन पर नियंत्रण रखते हैं।
नव निधियां
• पद्म निधि: पद्मनिधि लक्षणो से संपन्न मनुष्य सात्विक होता है तथा स्वर्ण चांदी आदि का संग्रह करके दान करता है।
• महापद्म निधि: महाप निधि से लक्षित व्यक्ति अपने संग्रहित धन आदि का दान धार्मिक जनों में करता है।
• नील निधि: निल निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।
• मुकुंद निधि: मुकुन्द निधि से लक्षित मनुष्य रजोगुण संपन्न होता है वह राज्य संग्रह में लगा रहता है।
• नन्द निधि: नन्दनिधि युक्त व्यक्ति राजस और तामस गुणों वाला होता है वही कुल का आधार होता है।
• मकर निधि : मकर निधि संपन्न पुरुष अस्त्रों का संग्रह करने वाला होता है।
• कच्छप निधि : कच्छप निधि लक्षित व्यक्ति तामस गुण वाला होता है वह अपनी संपत्ति का स्वयं उपभोग करता है।
• शंख निधि : शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है।
• खर्व निधि : खर्व निधिवाले व्यक्ति के स्वभाव में मिश्रित फल दिखाई देते हैं।
इन निधियों में जल, पृथ्वी, आकाश, और चेतना के तत्त्व समाहित हैं। हनुमान जी इन रहस्यों को जानते हैं और अपने भक्तों के कल्याण हेतु इनका उपयोग भी करते हैं।
आपको बता दे श्रीराम भक्त हनुमान को आठ सिद्धियों और नौ निधियों का वरदान मां जानकी ने दिया था और कहते हैं कि इन्हें संभालने की शक्ति भी केवल महाबली हनुमान में ही थी। माता सीता को खोजते हुए जब बजरंगबली अशोक वाटिका पहुंचे तो उस समय उन्हें लघिमा सिद्धि काम आई। माता सीता का दिया हुआ यह वरदान हनुमान जी को केवल संकटमोचन नहीं बनाता, बल्कि उन्हें आध्यात्मिक और भौतिक, दोनों संसारों का सेतु बना देता है। जब कोई भक्त उन्हें पुकारता है, तो केवल उसका भय नहीं मिटता, बल्कि जीवन को एक नई दिशा मिलती है और भक्त भी आध्यात्म की तरफ तेजी से बढ़ता है।