धर्म संवाद / डेस्क : “तुम रूठे रहो बाबा, हम तुमको मना लेंगे” — यह पंक्ति उस अनमोल रिश्ते का प्रतीक है जो भक्त और भगवान के बीच होता है। यह बताता है कि जब भक्ति में सच्चाई हो, तो ईश्वर को मनाना कठिन नहीं। वह तो बस एक आँसू की पुकार पर भी दौड़े चले आते हैं। यह भजन भगवान शिव को समर्पित है ।
तुम रूठे रहो बाबा हम तुमको मना लेंगे,
भावो में असर होगा घर बैठे बुला लेंगे
तुम केहते हो बाबा मुझे कहा बिठाओ गे,
मन मन्दिर में तेरी तस्वीर बसा लेंगे
तुम रूठे रहो बाबा हम तुमको मना लेंगे
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तुम केहते हो बाबा मुझे क्या चडाओ गे,
बाबा भगती का तुझको हम हार चड़ा देंगे
तुम रूठे रहो बाबा हम तुमको मना लेंगे
तू केहते हो बाबा मुझे कहा सुलाओ गे,
फूलो से तेरी बाबा हम सेहज सजा देंगे
तुम रूठे रहो बाबा हम तुमको मना लेंगे