धर्म संवाद / डेस्क : भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए भजन भी एक महत्वपूर्ण उपाय है। यह मीराबाई की एक प्रसिद्ध कविता है, जो भगवान कृष्ण के प्रति उनके प्रेम और समर्पण को व्यक्त करती है। मीराबाई एक महान भक्त और कवयित्री थीं, जिन्होंने भगवान कृष्ण की आराधना में अपना जीवन समर्पित किया था। उनकी कविताएँ भक्ति और प्रेम की भावना से भरी हुई हैं। यह भजन अक्सर भक्ति समारोहों और कीर्तनों में गाया जाता है, और लोगों को भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना से भर देता है।
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ऐसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन,
वो तो गली गली,
हरी गुण गाने लगी ॥
है आँख वो जो,
श्याम का दर्शन किया करे,
है शीश जो प्रभु चरण में,
वंदन किया करे,
बेकार वो मुख है,
जो रहे व्यर्थ बातों में,
मुख है वो जो हरी नाम का,
सुमिरन किया करे ॥
हीरे मोती से नहीं,
शोभा है हाथ की,
है हाथ जो भगवान का,
पुजन किया करे,
मर कर भी अमर नाम है,
उस जीव का जग में,
प्रभु प्रेम में बलिदान जो,
जीवन किया करे ॥
ऐसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन,
वो तो गली गली,
हरी गुण गाने लगी,
महलों में पली,
बन के जोगन चली,
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी,
ऐंसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन। ॥
कोई रोके नहीं, कोई टोके नहीं,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी,
बैठ संतो के संग,
रंगी मोहन के रंग,
मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी,
वो तो गली गली,
हरी गुण गाने लगी,
ऐंसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन ॥
राणा ने विष दिया, मानो अमृत पिया,
मीरा सागर में सरिता समाने लगी,
दुःख लाखों सहे, मुख से गोविन्द कहे,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी,
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ॥
ऐसी लागी लगन,
मीरा हो गयी मगन,
वो तो गली गली,
हरी गुण गाने लगी ॥
महलों में पली,बन के जोगन चली ।
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी ॥
ऐसी लागी लगन ,
मीरा हो गयी मगन ।
ऐसी लागी लगन ,
मीरा हो गयी मगन ।
कोई रोके नहीं,
कोई टोके नहीं,
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी ।
कोई रोके ….नहीं कोई टोके ….नहीं
मीरा गोविन्द गोपाल गाने लगी ।
बैठी संतो के संग,रंगी मोहन के रंग,
मीरा प्रेमी प्रीतम को मनाने लगी ।
वो तो गली गलीहरी गुण गाने लगी ॥
ऐसी लागी लगन ,मीरा हो गयी मगन ।
ऐसी लागी लगन ,मीरा हो गयी मगन ।
वो तो गली गली हरी गुण गाने लगी ॥