धर्म संवाद / डेस्क : राधा –कृष्ण की प्रेम कहानी बहुत मशहूर है। इतनी मशहूर कि आज भी भारत में हर प्रेमी को श्री कृष्ण और प्रेमिका को राधा रानी का नाम दिया जाता है। मगर कृष्ण और राधा का कभी विवाह नहीं हुआ था। श्रीकृष्ण का विवाह रुक्मिणी से हुआ था। देवी रुक्मिणी और श्रीकृष्ण की शादी की कथा बेहद रोचक है। आज हम आपको बताएंगे कि आखिर श्रीकृष्ण और रुक्मिणी मिले कैसे थे और कैसे दोनों का विवाह हुआ था।
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रुक्मिणी विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। वह दिखने में बहुत ही सुंदर, बुद्धिमान और स्वभाव की सरल कन्या थीं। राजा भीष्मक के दरबार में जो कोई आता, वह भगवान श्रीकृष्ण के साहस और बुद्धिमता की तारीफ करता। रुक्मिणी बचपन से लोगों के मुख से कृष्ण की तारीफ सुनती आ रही थीं। इस कारण वह उन्हें चाहने लगी थीं। उन्होंने तय कर लिया था कि वह उन्हीं से विवाह करेंगी।
मथुरा के राजा कंस वध करने के बाद तो श्रीकृष्ण की ख्याती और भी बढ़ गई थी। उनकी वीरता के चर्चे हर तरफ गूंज रहे थे। मगर वहीं श्रीकृष्ण ने कंस का वध करके बहुत से राज्यों को अपना दुश्मन भी बना लिया था, जिसमें से एक था मगध का राजा जरासंध। दरअसल, कंस जरासंध का दामाद था और इसलिए वह श्रीकृष्ण से घृणा करता था।
दूसरी तरफ, राजा भीष्मक ने अपने पुत्र रुक्म के कहने पर रुक्मिणी का विवाह चेदिराज शिशुपाल से तय कर लिया था। रुक्म शिशुपाल का खास मित्र था, इसलिए वह अपनी बहन का विवाह उससे कराना चाहता था। रुक्मिणी श्रीकृष्ण को दिल से चाहती थीं। इस बारे में जरासंध और देवी रुक्मिणी के भाई को जैसे ही इस बात की भनक लगी उन्होंने राजा भीष्मक और राजकुमारी देवी रुक्मिणी को कारागार में डाल दिया।
परन्तु रुक्मिणी ने ठान लिया था कि वह विवाह सिर्फ श्रीकृष्ण से करेंगी, नहीं तो अपने प्राण त्याग कर देंगी। बंदी बने हुए ही देवी रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें और उनके पिता को बंधक बना लिया गया है और वह चाहती हैं कि श्रीकृष्ण उन्हें बचाने के लिए स्वयं विदर्भ राज्य पधारें। रुक्मिणी ने संदेश में कहलवाया कि वह उनसे प्रेम करती हैं और उसका विवाह शिशुपाल से तय हो गया है। अगर उसकी शादी कृष्ण से नहीं होगी तो वह प्राण त्याग देंगी। जैसे ही कृष्ण के पास संदेश पहुंचा, वह चकित रह गए। द्वारिकाधीश ने भी रुक्मिणी की सुंदरता और बुद्धिमता के बारे में बहुत सुन रखा था। संदेश मिलते ही श्रीकृष्ण विदर्भ पहुंच गए। जब शिशुपाल विवाह के लिए द्वार पर आया तभी कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया।
जब रुक्मिणी के भाई रुक्म को पता चला तो वह अपने सैनिकों के साथ कृष्ण के पीछे गया। फिर श्रीकृष्ण और रुक्म के बीच भयंकर युद्ध हुआ, जिसमें द्वारिकाधीश विजयी हुए। इसके बाद श्रीकृष्ण रुक्मिणी को लेकर द्वारिका आ गए और दोनों ने विवाह कर लिया।