धर्म संवाद / डेस्क : शिव आदि हैं, अनंत है. शिव शून्य है. शिव परम ब्रम्ह हैं. शिव त्रिकालदर्शी हैं. शिव स्वयं सनातन है. कहा जाता है सृष्टि के सृजन के भी पहले से शिव थे.शिव अजन्मे है. उनका जन्म ही नहीं हुआ परन्तु क्या आप जानते है पुराणों में भगवान शिव की उत्पत्ति की कथा मिलती हैं. जी हाँ कूर्म पुराण ,विष्णु पुराण आदि में महादेव के जन्म की कहानी मौजूद है.
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शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को स्वयंभू माना गया है जो कि विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु स्वयंभू हैं. विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा, भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि शिव, भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए हैं. माथे के तेज से उत्पन्न होने के कारण ही शिव हमेशा योग मुद्रा में रहते हैं.
![ब्रह्मा विष्णु शिवलिंग](https://dharmsamvad.com/wp-content/uploads/2024/02/ब्रह्मा-विष्णु-शिवलिंग.png)
श्रीमद् भागवत के अनुसार एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा देव स्वयं को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ने लगे. तभी एक रहस्यमयी खंभा दिखाई दिया. खंभे का छोर दिखाई नहीं पड़ रहा था. तब भगवान ब्रह्मा और विष्णु को एक आवाज सुनाई दी और उन्हें खंभे का पहला और आखिरी छोर ढूंढने के लिए कहा गया. यह कहा गया कि जो भी इसका छोर ढूंढ लेगा वो सर्वश्रेष्ठ होगा.तब ब्रह्मा ने एक पक्षी का रूप धारण किया तो भगवान विष्णु ने वराह का. और दोनों खंभों का पहला और आखिरी छोर ढूंढने के लिए निकल पड़े. कड़े प्रयास के बाद भी दोनों असफल रहे.और हार मानकर जब लौटे तो वहां भगवान शिव को पाया.तब उन्हें अहसास हुआ कि ब्रह्माण्ड का संचालन एक सर्वोच्च शक्ति द्वारा हो रहा है.जो भगवान शिव ही हैं. इस कथा में खंभा भगवान शिव के कभी न खत्म होने वाले स्वरूप को दिखाता है. यानि शिव अनंत हैं.
![](https://dharmsamvad.com/wp-content/uploads/2024/02/ब्रह्मा-शिव.jpg)
कूर्म पुराण में वर्णित कथा के मुताबिक,जब भगवान ब्रह्मा को सृष्टि की रचना करनी थी, जिस दौरान उन्हें एक पुत्र की जरूरत थी. उसी वक्त रोते हुए भगवान शिव भगवान ब्रह्मा के गोद में प्रकट हो गए. उस वक्त भगवान शिव जोर-जोर से रोने लगे. तब भगवान ब्रह्मा ने उनसे पूछा कि तुम रो क्यों रहे हो तो भगवान शिव ने कहा कि उनका कोई नाम नहीं है. इसके बाद भगवान ब्रह्मा ने उनका नाम रुद्र रख दिया. इसके बाद भी वह चुप नहीं हुए उसके बाद भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव का एक-एक कर के और 8 अलग-अलग नाम रखे.