धर्म संवाद / डेस्क : देवों के देव महादेव की कृपा अपरंपार है। उन्हे भोलेनाथ कहा जाता है। भक्त इन्हे जिस रूप में चाहे उस रूप में उनकी आराधना कर सकते हैं। यही कारण है कि भगवान शिव के भारतवर्ष में अनेकों मंदिर है जहां उनकी पूजा अलग –अलग रूपों मे की जाती है। उन सभी मंदिरों में वृंदावन का गोपेश्वर मंदिर सबसे अनूठा है। यहाँ महादेव को स्त्री रूप में पूजा जाता है। चलिए जानते हैं इस अनोखे मंदिर के पीछे की कहानी ।
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पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण वृंदावन में राधा और गोपिकाओं के साथ महारास किया करते थे। यह रास लीला देखने के लिए सभी देवता आतुर रहते थे। देवों के देव महादेव को भी श्री कृष्ण की रास लीला देखने और उसमे भाग लेने की इच्छा हुई। आपको बात दे रास में श्री कृष्ण के अलावा किसी भी पुरुष को जाने की अनुमति नहीं थी इसलिए जब महादेव वहाँ रास देखने पहुंचे तब सभी ने उन्हे लौटा दिया। इससे महादेव निराश हो गए। तब राधा ने उन्हे माँ यमुना के पास भेजा। फिर भगवान शिव ने यमुना में डुबकी लगाई और फिर वहाँ से वे स्त्री रूप में प्रकट हुए । उसके बाद उन्हे महारास में शामिल होने की अनुमति मिल गई। गोपी को वेश धारण करने के बावजूद भगवान कृष्ण ने उन्हे पहचान लिया और कहा , आओ आओ मेरे गोपेश्वर नाथ. इसके बाद फिर श्रीकृष्ण ने भोलेबाबा के साथ मिलकर महारास किया। कहते हैं श्री कृष्ण ने उस वक्त वहाँ महादेव की पूजा भी की थी।
माना जाता है उसी जगह पर गोपेश्वर मंदिर विराजमान है। यह विश्व का एकमात्र मंदिर है, जहां महादेव का महिलाओं की तरह शृंगार किया जाता है। इस मंदिर के निर्माण का श्रेय श्री कृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ को जाता है। इस मंदिर में महादेव दो स्वरूपों में दर्शन देते हैं। भोलेनाथ यहाँ सुबह नर और शाम को नारी के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं।
अगर आप भी इस मंदिर में जाकर भोलेनाथ के इस अद्भुत रूप का दर्शन करना चाहते हैं, तो आपको यमुना एक्सप्रेसवे के वृंदावन कट से नीचे उतर कर वृंदावन आना होगा। उसके बाद बनखंडी स्थित गोपेश्वर महादेव जाना होगा। अगर आप ट्रेन से मथुरा आ रहे हैं, तो आपको पहले मथुरा जंक्शन उतरना होगा और जंक्शन पर उतरने के बाद आप ऑटो या टैक्सी से वृंदावन पहुंच कर गोपेश्वर महादेव के दर्शन कर सकते हैं।